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मर्म

marm

लेने में देने में किसी के—

मेरी कविता उनका आरोप है। लेकिन तुम्हारी हुई ही

वह, अगर छुआ तुमने उसका मर्म,

केवल आकार नहीं : पा लिया समझो

उसने अपना कर्त्ता तुम्हीं में।

कहते हैं वे—कविता होती है

तभी अपनी ऊँचाई पर, जब करती

है बखान वह चीज़ों का

ऊँची उड़ान में। पर नहीं देखते

कि कछुआ छोड़ सकता है पीछे

बिजली-सी गति को।

समझा केवल तुमने कि नहीं है

फ़र्क़ चलने और रुकने में

कि रिक्ति है भरी हुई—परिपूर्ण, और खुला

साफ़ आकाश मेघाच्छन्न दूर तक।

जान सका मैं ही सबसे अच्छी तरह

मरहम पट्टी औ' पलस्तरों में बंदी

तुम्हारी लंबी यात्रा को इसीलिए।

फिर भी मुझे मिलती नहीं है शांति इससे कोई

कि अकेले या हम दोनों मिलकर

हैं एक ही चीज़।

स्रोत :
  • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 275)
  • संपादक : वंशी माहेश्वरी
  • रचनाकार : यूजीनियों मोंताले
  • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
  • संस्करण : 2020
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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