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मर्म

marm

यूजीनियों मोंताले

अन्य

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और अधिकयूजीनियों मोंताले

    लेने में देने में किसी के—

    मेरी कविता उनका आरोप है। लेकिन तुम्हारी हुई ही

    वह, अगर छुआ तुमने उसका मर्म,

    केवल आकार नहीं : पा लिया समझो

    उसने अपना कर्त्ता तुम्हीं में।

    कहते हैं वे—कविता होती है

    तभी अपनी ऊँचाई पर, जब करती

    है बखान वह चीज़ों का

    ऊँची उड़ान में। पर नहीं देखते

    कि कछुआ छोड़ सकता है पीछे

    बिजली-सी गति को।

    समझा केवल तुमने कि नहीं है

    फ़र्क़ चलने और रुकने में

    कि रिक्ति है भरी हुई—परिपूर्ण, और खुला

    साफ़ आकाश मेघाच्छन्न दूर तक।

    जान सका मैं ही सबसे अच्छी तरह

    मरहम पट्टी औ' पलस्तरों में बंदी

    तुम्हारी लंबी यात्रा को इसीलिए।

    फिर भी मुझे मिलती नहीं है शांति इससे कोई

    कि अकेले या हम दोनों मिलकर

    हैं एक ही चीज़।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 275)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : यूजीनियों मोंताले
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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