माँ जैसे

man jaise

शचींद्र आर्य

शचींद्र आर्य

माँ जैसे

शचींद्र आर्य

और अधिकशचींद्र आर्य

    कोई कितना भी कहे,

    वह किसी औरत की तरह होकर

    उनके हिस्से की बातें कह पाएगा,

    लगता नहीं, ऐसा कभी हो सकेगा।

    जैसे अपने बचपन में लौटते हुए,

    अम्मा की तरह अकेले, ख़ाली उस कमरे में

    खाना बनाकर देर रात तक कभी इंतज़ार नहीं कर सकता।

    पिता अभी पहाड़ी धीरज से आए नहीं हैं, यह भाव

    उनकी आँखों से अपनी पलकों में नहीं ला सकता।

    उनकी एड़ी पानी में घंटों कपड़े धोने के बाद साल भर फटी रह सकती है।

    उनके हाथ का स्पर्श

    इन हाथों में आकर भी इस कदर खुरदरा नहीं हो सकता,

    जितना उनके हाथों में है।

    मैं घंटों इस कमरे में बैठे रहकर लिख सकता हूँ,

    उनकी तरह शाम की रसोई के ख़याल में ऊँघ नहीं सकता।

    बहुत कोशिश करने पर इन असंभव संभावनाओं में कुछ हद तक

    एक दो-बिन्दुओं पर खरा भी उतर गया, तब कहाँ से लाऊँगा प्रसव पीड़ा का एहसास?

    पुरुष होकर माहवारी का मासिक दर्द मेरे शरीर के किस हिस्से में होगा, कह नहीं सकता।

    नहीं जानता, कहाँ उतरेगा नए जन्मे बच्चे के बाद दूध?

    ऐसा करते हुए,

    अम्मा को सिर्फ़ शरीर की जैविक बुनावट में नहीं बाँध रहा,

    सिर्फ़ देख रहा हूँ, कहाँ से वह अपने स्त्री होने के भाव पाती हैं?

    शायद शादी के बाद

    अपने बचपन के घर को छोड़ कर यहाँ आना, उन्हें ऐसा बनाता होगा।

    वह स्मृतियों को लेकर बहुत भावुक हैं और

    उन घटनाओं के तथ्यों को लेकर बहुत अड़ियल भी।

    वहीं से ख़ुद को भी कुछ-कुछ बनता हुआ देखता हूँ।

    गर्भ में नहीं देख सका, उसके बाहर कैसे बना, वह देख रहा हूँ।

    कभी किसी याद में खोते हुए

    उनके चेहरे को देखता हूँ,

    कभी किसी याद में डूबते हुए उनकी आँखों को।

    उनकी उँगलियों का तिरछापन स्मृतियों में दिखाई नहीं देता है।

    वह पीछे लौटते हुए सिर्फ़ पीछे नहीं लौटती, अपने वर्तमान को भी साथ लिए जाती हैं।

    मुझसे सिर्फ़ यही नहीं हो पाता।

    इसी में बस इतना कह दूँ,

    माँ और मुझमें एक बात और मिलती है

    उनकी तरह मेरे मसूड़े भी सड़ने लगे हैं, उनमें ख़ून भी आता है

    और

    उनके हाथों की उँगलियों का टेढ़ापन

    मेरी उँगलियों और स्वभाव में किसी को दिख जाता है

    तो वह मुझे अखर जाता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : शचींद्र आर्य
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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