Font by Mehr Nastaliq Web

महाकविक तन्वंगीसँ

mahakvik tanvangisan

नीरजा रेणु

अन्य

अन्य

नीरजा रेणु

महाकविक तन्वंगीसँ

नीरजा रेणु

और अधिकनीरजा रेणु

    हे सोलह बरखक तन्वंगी

    बैसलि हियमे

    नहि भेलह मुखर

    चुपचाप किये

    स्मृति रखने

    मधुमय वसन्त केर गन्ध लेने

    मदमत्त कोकिलक कूज मधुर

    स्पर्श मलयकेर सुखद-सुखद

    कुसुमक यौवनमय सरस हास

    मालती केतकी केर विकास

    सभटा ओहिना रखने हियमे

    छेँ ताकि रहल प्रियतमक बाट।

    अति आतुर विकसित नयन कोर

    ताकय जनु चन्नाकेँ चकोर॥

    दिनपर दिन

    मासक मास बितल

    तैयो नहि छूटल आशबन्ध

    लाजेँ समटल हिय बीच सरस

    स्वप्नक नहि टूटल मोह अन्ध।

    हे तन्वंगी।

    तजि लोकलाज

    तोहर मुरारि रचि रहल रास

    तोहर तन पीड़ा भरल, करुण

    झामर अति

    किये सकत देखि

    सौन्दर्य दर्शनक हेतु

    मदान्धक नयन कोना उपयुक्त हैत।

    शाश्वत नहि

    क्षणभंगुर छविसँ

    गेल चोराओल हृदय जकर

    की जानय प्रेमक पीड़ा

    'चौर्य-प्रणय'मे रंग चारि गुन

    भावि तजल

    तोहर अति शाश्वत

    मधुर राग

    हे तन्वंगी।

    मुखमण्डल किये अति उदास

    लोचन जलमय

    विक्षिप्त अधर

    तेजह मृगतृष्णा केर बाट

    कह 'महाकवे! करु क्षमादान

    हम नख-शिखकेर नहि मृतक गात्र

    श्रद्धाक पात्र

    वसुधाक रत्नमय मूर्तरूप

    करु प्रणय कक्षसँ मुक्त तन हमर

    कर्मक्षेत्रमे कऽ प्रयाण

    दी शक्ति स्वरूपा केर प्रमाण!

    कोरक शिशु भऽ नहि अश्रुस्नात

    मौलायत हमर

    हमरे हरियर आँचरपर

    हँसि हँसि खेलायत

    तखन अहाँ

    नारीत्वक गौरव रवसँ मुखरित करब

    अपन पदक-पदकेँ नित अभिनव, नूतन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आगत क्षण ले (पृष्ठ 27)
    • रचनाकार : नीरजा रेणु
    • प्रकाशन : श्री शेखर झा
    • संस्करण : 1997

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY