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मधुर भाषा मैथिली छी

madhur bhasha maithili chhi

हरिमोहन झा

अन्य

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हरिमोहन झा

मधुर भाषा मैथिली छी

हरिमोहन झा

और अधिकहरिमोहन झा

    धन्य हे नवनीत कोमल,

    मधुर भाषा मैथिली छी।

    जनक गौतम याज्ञवल्क्यक

    पुण्य पुष्करिणीक सुन्दर

    प्रस्फुटित परिमल प्रपूरित

    कमल-कोमल शतदली छी।

    वाग्मती-कमला-बलानक

    गंडकी कोशी बया ओ,

    सुरसरिक धाराक जल सौं

    भरलऽहाँ गंगाजली छी।

    अमर विद्यापतिक जनमन

    रंजिनी पीयूष वाणी

    अहाँ कविकोकिलक कूजित

    कान्त कोमल काकली छी।

    ऋषि मुनिक वाणी अहाँ छी,

    दर्शनक स्रोतस्विनी छी,

    भक्ति शृंगार पूरित

    मधुच्छन्द पदावली छी।

    भारती सुकुमार अहाँ छी,

    सूक्ति केर भंडारऽहाँ छी।

    राष्ट्रभाष केर बहिनपा,

    देववाणिक लाड़िली छी

    भारतक शृंगारऽहाँ छी,

    बिहारक हारऽहाँ छी

    अहाँ मिथिला केर मधुमय

    अमृतमय रसकंदली छी।

    संविधानक सूत्र मे गँथि रहल

    जे भाषाक माला

    तकर सौरभ वृद्धि हित

    नंदनवनक चम्पाकली छी।

    मधुर भाषा मैथिली छी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हरिमोहन झा रचनावली खण्ड-4 (पृष्ठ 107)
    • रचनाकार : हरिमोहन झा
    • प्रकाशन : जनसीदन प्रकाशन
    • संस्करण : 1999

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