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मधुपक प्रति

madhupak prati

नीरजा रेणु

अन्य

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नीरजा रेणु

मधुपक प्रति

नीरजा रेणु

और अधिकनीरजा रेणु

    मैथिली काव्य उपवनक मधुप

    जनहित ले शिव काशीकान्तक

    नाम स्वनामे धन्य मधुर

    कविता रस बरिसौलहुँ गुन गुन

    साहित्यक शिल्पी गुरू निपुण।

    प्रति प्राणीकेर अन्तर्मनमे

    बसलहुँ सुनलहुँ अहाँ स्पन्दन।

    आह्लादित केओ केओ उन्मन

    सह अनुभूतिक कऽ अन्वेषण॥

    केओ गेल 'कुशेसर थान भोर'

    तकरो 'कारा झनकाय’ देल

    मेलामे रससिक्त 'जिलेबी

    टटका' सभकेँ खुआ देल।

    किछु जन जे टटका पाबि ने सकला।

    पौलनि 'अपूर्व रसगुल्ला'

    थाकल ठेहिआयल यात्री

    रेलक डिब्बामे छल कसमकस्स

    घामें भऽकेँ अपस्याँत मुदा पुनि

    सुखी होथि सुनि मधुपक धुनि।

    जन गीत सिनेमा बूझि जेना

    छल मैथिलीक गीत ओना॥

    छथि जाइत भवानी सासुर एखनो

    रूसल शिवकेँ मना रहलि

    कौखन 'गणपति शिव जटा गांग

    सलिलें थर-थर तापथि चान।'

    कवि देखलनि दोपहरियाक रौद

    तपैत बुचनिक व्यथा मौन।

    जे 'घसल अठन्नी'सँ लड़ैत

    हारल टकही एहि जीवनकेँ।

    लाइ मुरही लऽ जाइत ममत्वक

    अँचरामे समटल सिनेह

    नानी दादीपर खसल वज्र तँ

    जाय सकलि नहि अपन गेह।

    किछु करुण कथा करुणामयि-

    नारी वर्गक कहि देखा देलनि

    जे करुणेमे सभ रसक समन्वय

    कऽ जीवनसँ भरल अवनि।

    प्रकृतिक अनुपम चित्रकार

    प्रकृति हुनकामे जनु विलसय

    भोरक रवि बालक उदित भेला

    कमल खेलौना करमे लय।

    छूटय करसँ तँ फूटि खेलौना

    किरणें कमल फुलाइत छल

    साँझक सिहकीमे थाकल जन

    बैसल दलानपर निश्चिन्तें

    रातुक तारावलिमे मकइक लावा

    छिड़िआयत से तकिते।

    हमरा सुमिरन अछि दिन जहिया

    'सन्तत सन्तति' गबैत

    भऽ जाथि मगन कुलदेवीक

    पूजा, अर्चा सुमिरन लेल॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : आगत क्षण ले (पृष्ठ 3)
    • रचनाकार : नीरजा रेणु
    • प्रकाशन : श्री शेखर झा
    • संस्करण : 1997

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