एक ख़ास तापमान पर

loktantr ek khaas tapaman par pakta hai. . .

गौरव सिंह

गौरव सिंह

एक ख़ास तापमान पर

गौरव सिंह

और अधिकगौरव सिंह

    उनकी खाने की प्लेटों में

    सजने वाला हरेक पकवान

    एक ख़ास तापमान पर

    एक ख़ास समय में

    एक ख़ास प्रविधि से पकाया जाता है।

    कुछ ख़ास किस्म की भेड़ें

    उनकी सर्दियों के लिए ऊन ढोती हैं

    एक विशेष जानवर की चमड़ी से बनते हैं

    उनके चमड़े के जूते

    एक ख़ास तरह की कपास से उनके कुर्ते

    एक ख़ास नाई काटता है उनके बाल

    ख़ास तरह के इत्र, घड़ियों और क़मीज़ों के बीच

    दमकता है उनका चेहरा…

    पेट को भाड़े में देकर

    अधकचा बेस्वाद खाना

    जब कुछ लोग सड़कों पर

    ग़रीबी, रोज़गार, भूख और इंसाफ़ के नारे लगाते हैं

    मानवाधिकार की बातें करते हैं

    उन लोगों को

    जिनकी हर अदा में कुछ ख़ास है

    विरोध का यह तरीक़ा ठीक नहीं लगता है

    वे टेलीविजन पर आकर चिल्लाते हैं :

    प्रदर्शन का यह तरीक़ा ठीक नहीं

    विरोध करने का एक ख़ास तरीक़ा होता है

    मेरे कुनबे का सबसे अनुभवी बुज़ुर्ग समझाता है—

    लोकतंत्र एक ख़ास तापमान पर पकता है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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