राजा से हर मौत का हिसाब लेना चाहिए
नए भारत की सरकार
मारे गए नागरिकों की गिनती नहीं करती
मने किसी सरकारी खाते और डेटाबेस में
कोई रिकार्ड नहीं रखती
दरअसल आसान भाषा में समझ लीजिए
कि सरकार अब लाशों की गिनती नहीं करती
सरकार तो अब जीते हुए लोगों को
लाश बनाकर छोड़ देती है
राजा का सिंहासन जब लाशों की ढेर पर रखा हो
तब लाशों की गिनती भी अपराध माना जा सकता है
राजा इसे ‘एक्ट ऑफ़ गॉड’ यानी ईश्वरीय कृत
या लीला भी करार देकर बरी हो सकता है
राजा आख़िर राजा होता है
वह कुछ भी कर सकता है
राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि कहा जाता है
ईश्वर द्वारा किए गए हत्याओं को किसी अपराध
या पाप की श्रेणी में नहीं गिना जाता
जो मरा वही पापी हो जाता है!
मज़दूर, किसान, बेरोज़गार को
राजा अब नागरिक नहीं मानता
वह सवाल पूछने वालों, काम माँगने वालों
और भूख में खाना माँगने वालों को देशद्रोही कहता है
राजा उनकी हत्या का आदेश नहीं देता
सिर्फ़ बेघर कर देता है
सड़क पर ला देता है
उनकी झुग्गियों को उजाड़ने का आदेश जारी करवाता है
राजा अस्पताल की ऑक्सीजन सप्लाई बंद करवा देता है
प्रजा राजा की भक्ति और राष्ट्रवाद की भावना के बोझ से
ख़ुद को मुक्त नहीं कर पाती
किसान फाँसी लगा लेता है
बेरोज़गार युवा ज़हर पी लेता है
रोटियों के साथ रेल से कटकर मर जाता है
मज़दूर का परिवार
और इस तरह मरते हुए वह
राजा को हत्या के आरोप से बचा लेता है
जबकि मैं सोचता हूँ इसके विपरीत
असामयिक हुई हर मौत के लिए
राजा ही दोषी है
भूख से मरे हर नागरिक का क़ातिल है राजा
क्योंकि भूख से मरना भूकंप से मरना नहीं है
किसान आत्महत्या दरअसल हत्या है राज्य द्वारा
ऐसी तमाम मौतों के लिए केवल राजा को ही
दोषी माना जाना चाहिए!
उससे एक-एक मौत का हिसाब लेना चाहिए।
- रचनाकार : नित्यानंद गायेन
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.