पटरियों पर रहता है एक आदमी
यह दर्ज किया जाए कि
एक आदमी सड़क किनारे की पटरियों पर रहता है
और उसी सड़क से गुज़रते हैं देश के माननीय
माननीय प्रधानमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री, माननीय सांसद,
माननीय विधायक, माननीय न्यायाधीश, प्रशासनिक अधिकारी,
राज्य के विदेशी अतिथि, पत्रकार, लेखक, कवि और नगर के अन्य गणमान्य।
आम जनता भी गुज़रती है इसी सड़क से।
यह ताज्जुब है कि हममें से ज़्यादातर को पता ही नहीं है कि
वह कौन आदमी है जो सड़क किनारे की पटरियों पर रहता है।
हालाँकि एक आदमी पहले भी रहा करता था यहीं
और उससे पहले कई
जो किसी रोज़ चले गए अचानक कहीं।
यह कितनी अजीब बात है कि
इतनी आती-जाती सड़क पर किसी ने भी न उन्हें आते देखा न जाते देखा
पटरियों पर रहते-रहते आदमी इसी तरह अचानक एक दिखना बंद हो जाते हैं
कोई जानना चाहे उनके बारे में
कि वे कहाँ से आए कहाँ को गए
उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है
उनके बारे में कोई दस्तावेज़ कुछ नहीं कहता है
कोई सुनना चाहे उनकी आवाज़ तो कुछ भी नहीं मिलता कहीं
कोई देखना चाहे कभी उन्हें तस्वीरों में तो नहीं दिखते वे कहीं
जबकि दुनिया तस्वीरों से अटी पड़ी है।
ताज्जुब है कि जब हज़ारों साल पुराने कंकाल
और न जाने कितनी मृत वस्तुएँ तक तलाश ली गई हैं
और वह सब एक विशाल, महलनुमा संग्रहालय का हिस्सा हो चुकी हैं
एक जीवित, हिलते-डुलते, साँस लेते आदमी के बारे में किसी को कुछ भी नहीं मालूम।
इस मौसम में भी आदमी पटरियों पर बैठा हुआ है
नगर के माननीय और आम जनता गुज़र रहे हैं।
- रचनाकार : सोमप्रभ
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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