लाओ

lao

महेश वर्मा

और अधिकमहेश वर्मा

    कोई चीज़ लाओ

    जिसको कोई जानता हो

    जिसके बारे में कुछ बताने की असफलता

    को भी कोई समझ पाए

    वह ज्ञान, तर्क, अनुभूति और अध्यात्म

    सबको धता बताती हुई

    पहली बार की तरह आए

    जब वह आए तो कोई परिपाटी हो उसकी

    उसकी आराधना करने

    उसकी हत्या करने

    उससे डरने, प्यार करने, नफ़रत करने की

    कोई वज़ह ही नहीं हो पहले से

    समय उसके बाद शुरू हो या हो

    फिर चाहे तो भाषा आए

    उसे इस तरह लाओ कि उसे लाने का कोई तरीक़ा

    तुम्हें मालूम नहीं था, वजह भी नहीं

    उसकी कोई देह थी या नहीं किसी को मालूम नहीं था

    इंद्रियों से उसके संबंध भी अज्ञात ही थे

    उसे ऐसे लाओ कि कोई उपमा दे पाए

    वह कहीं से भी लाई जाए या कहीं नहीं से भी

    वह कण हो या अंतरिक्ष,

    आंतरिक हो या बाह्य

    कुछ भी हो हो

    उसे लाओ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : धूल की जगह (पृष्ठ 36)
    • रचनाकार : महेश वर्मा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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