अहाँकेँ केओ सोर करैए
रोज रातिमे अहाँकेँ केओ सोर करैए
सिनेमाक अंतिम शो खत्म भेलाक बाद
जखन लोकबेद घरमुँहाँ बरद जकाँ घूरि जाइत अछि
अपन-अपन ठेकानपर
सोसायटीक चौकीदार
एक बेर आर अपन सीटी बजाकऽ
पहाड़क स्मृतिमे डूबल जखन
बिला जाइत अछि एक टा प्रदत्त अन्हारमे
जखन रातिक परती खेतकेँ
अपन सहस्र फारसँ चीरैत-फाड़ैत पड़ा जाइत अछि
हकासल-पियासल एकबजिया ट्रेन
बहुत दूरसँ अहाँक नाम लऽकऽ
केओ सोर करैए
अहाँ गाढ़ नीन्दमे रहै छी मातल
कि हठात भीजि जाइत अछि सगर देह
आ भालरि जकाँ काँपऽ लगैत अछि अहाँक प्राण
अहाँ उठि कऽ बैसै छी
जल पीबै छी
आ जहिना करट बदलि कऽ कोनो आन ठाम
लगबऽ चाहै छी अपन ध्यान
कि एक टा करुण-कातर आवाज सूनि कऽ
फेर ठाढ़ भऽ जाइत अछि अहाँक कान
अहाँ सुतै छी आ उठै छी
उठै छी आ सुतै छी
सुतैत-उठैत अपन अनिद्राक मरुथलकेँ
एक टा बूढ़ जर्जर ऊँट जकाँ कहुना पार करै छी
राति भरि जपैत भगवानक नाम
मुदा एक टा अनुत्तरित गाम
बेर-बेर अपन नाम आ अपन ठाम बदलि कऽ
बहुत दूरसँ अहाँकेँ सोर करैए
•••
अहाँकेँ सोर करैए
बिढ़नीक छत्ताक उपरमे लटकल एक टा डमहा लताम
गुनेसर साहक दुआरपर ठाढ़ तेतरिक गाछ
आ खलीफाक आड़ाक सिनुरिआ आम
अहाकेँ सोर करैए
एक टा टुटलहा स्कूल
धूरापर खसल जेना सुखलहा फूल
अहाँकेँ सोर करैए
चूबैत घर आ नोनियाँ लागल देबाल
बाट तकैत खड़ाम आ फोटोमे लागल मकराक जाल
अहाँकेँ सोर करैए गाछ-पात लोकबेद आँगन आ दुआर
एक आँगुर धँसल आँखि कि टूटल केबाड़?
अहाँकेँ सोर करैए अहीँसँ छूटल
अहाँक अभिशप्त अंश
खाइत-पिबैत सुतैत-उठैत वैह मारैत अछि दंश
अइ दुनियामे माँगै छै सभ चीज अपन-अपन हिसाब
ओ पाँच घंटाक बाद माँगय कि पचास बर्खक बाद
- पुस्तक : एकटा हेरायल दुनिया (पृष्ठ 13)
- रचनाकार : कृष्णमोहन झा
- प्रकाशन : अंतिका प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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