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सब कुछ हो चुका है

और अभी होना है

उसे कहा जा चुका है

और अभी कहना है

वह ठीक उसी तरह नहीं होगा

और ठीक उसी तरह कहा भी नहीं जाएगा

एक खेल होगा हमेशा होने और कहने में

जिसमें होना छुपने की कोशिश करेगा

कहना उसे ढूँढ़ने की

इसी लुकने-ढूँढ़ने में बहुत मुमकिन है

कहना होने को थोड़ा-बहुत पा जाए

और ताज्जुब नहीं कि साथ-साथ

कुछ अनहुआ-अनहोना भी

अपनी मुट्ठी में ले आए

या होना ख़ुद कहने में ही जा छुपे

और कहना उसे शब्द-शब्द ढूँढ़ता फिरे

इस तरह ख़ुद को पा जाए

बूझते रहें खेल देखने वाले

बहसा करें आपस में

होने को कहना है

कि कहने में होना है

होने को खोना है

कि कहने में पाना है

स्रोत :
  • पुस्तक : यक़ीन की आयतें (पृष्ठ 13)
  • रचनाकार : आशुतोष दुबे
  • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
  • संस्करण : 2008

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