कवि या अपराधी

kawi ya apradhi

आशीष यादव

आशीष यादव

कवि या अपराधी

आशीष यादव

और अधिकआशीष यादव

    धार्मिक दंगे में मरे लोगों की

    सड़क पर भिनकती लाशों के लिए

    मैं अपने शब्दकोश से

    कुछ छलनी हुए शब्द ढूँढ़ता हूँ

    जो लाशों की तरह इधर-उधर बिखरे पड़े हैं

    मैं इन बिखरे शब्दों को समेटकर

    एक कविता का रूप दूँगा

    मुझे किसी के दुःख से कोई मतलब नहीं है

    हर त्रासदी में अपनी कविताओं के लिए

    मैं घरौंदा ढूँढ़ने लगता हूँ

    जब एक लड़की का जिस्म नोचकर

    पीपल की टहनियों पर टाँग दिया जाता है

    मैं लिखता हूँ बेरहमी की पूरी दास्तान

    खोज लेता हूँ जघन्यतम अपराधों के लिए भी शब्द

    मुझे अपराधों की क्रूरता में दिलचस्पी नहीं है

    मैं बस कविता के लिए शब्द-चयन में उलझ जाता हूँ।

    जब सरेराह दो प्रेमियों का गला रेत दिया जाता है

    सबको पता होता है रेतने वालों हाथों का, मुझे भी

    मैं प्रेमियों के प्रेम पर

    एक अमर प्रेम-कविता लिख देता हूँ

    पर उनका गला रेतने वाले हाथों का ज़िक्र नहीं करता

    अगर कभी करता भी तो प्रतीकात्मक रूप से

    अन्यथा हत्या को सरकार की नाकामी बताकर

    किसी अगली घटना का इंतज़ार करता हूँ

    अपनी अगली कविता के लिए

    इस तरह मैं आस-पास घटित होने वाली

    सारी घटनाओं में संवेदना से ज़्यादा शब्द तलाशता हूँ

    शब्दों के चयन से उसकी क्रूरता को तौलता हूँ

    क्या मैं सचमुच एक कवि हूँ?

    अगर हाँ तो

    मुझमें और उन सारे

    अपराधियों में रत्ती भर भी फ़र्क़ है?

    स्रोत :
    • रचनाकार : आशीष यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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