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कविता के लिए बुरा वक़्त

kavita ke liye bura vaqt

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

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कविता के लिए बुरा वक़्त

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    सो मैं जनता हूँ : सुखी आदमी ही

    होता है प्रीतिकर। उसकी आवाज़

    लगती है कर्णप्रिय। उसका मुख सलोना।

    आँगन का ठूठा दरख़्त

    दिखा रहा है कि ज़मीन ख़राब है, लेकिन

    राहगीर उसे ठूँठा कह कर गरियाते हैं

    और ठीक भी है।

    जलडमरूमध्य में हरी-हरी नौकाएँ और लहराते पाल

    मैं नहीं देखता। उनमें

    देखता हूँ केवल फटे जाल मछुओं के

    क्यों दर्ज करता हूँ मैं केवल यह

    कि चालीस साल की देहातिन

    झुकी-झुकी चलती है?

    लड़कियों के स्तन

    सदा की तरह गर्म हैं।

    अपनी कविता में कुछ भी तुकांत

    मुझे लगेगा लगभग दुस्साहस।

    मेरे भीतर है कशमकश

    सेबों के फूले दरख़्तों पर उछाह

    और पुतैया को तकरीरों से दहशत

    मगर यही बाद वाली चीज़

    धकेलती है मुझे लिखने की मेज़ की तरफ़।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 110)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक रायनर लोत्स, गिरधर राठी
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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