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जो भी गिर जाए

jo bhi gir jaye

अनुवाद : दिनेश चमोला

मौं म्यिं म्या्

मौं म्यिं म्या्

जो भी गिर जाए

मौं म्यिं म्या्

और अधिकमौं म्यिं म्या्

    संसार स्वप्न की तरह

    चंद्रमा आदमी की तरह

    फूल घर की तरह

    आकाश धरती की तरह

    सितारे बच्चे की तरह

    हल्की वर्षा आँसू की तरह

    भँवर विचार की तरह

    कॉंटे अभिमान की तरह

    बीती रात अतीत की तरह

    लहर घूमी हुई पुकार की तरह

    चमकती लपट उदासी की तरह

    ख़ून की बूँद नीतिकथा की तरह

    आत्मा यात्रा की तरह

    ऐसे ही स्वप्न में मैं विचरता रहा

    जो कुछ देखता है

    उसके विरोध में होता है

    पहचानता है जीवन की प्रवृत्ति

    बहुत देर बाद अपने लंबे अनुभव पर

    मैं सोचता रहा

    और केवल शरण मिली

    जीवन के इस विस्तृत समुद्र में

    स्वप्न कविता के इस महाद्वीप में

    स्रोत :
    • पुस्तक : समकालीन बर्मी कविताएँ (पृष्ठ 161)
    • संपादक : चन्द्र प्रकाश प्रभाकर 'मौतीरि'
    • रचनाकार : मौं म्यिं म्या्
    • प्रकाशन : इरावदी प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1994

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