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इंसान और फ़रिश्तों की संक्षिप्त तुलना

insaan aur farishton ki sankshipt tulna

अनुवाद : गिरधर राठी

डैनियल वाएसबोर्ट

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इंसान और फ़रिश्तों की संक्षिप्त तुलना

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    जब ईश्वर ने ख़ुद अपने हाथों इंसान रचने का संकल्प किया,

    उसने अपने आसपास वालों से राय ली,

    ज़रूरतन या इरादतन नहीं,

    बल्कि इंसान के लिए एक मिसाल की ख़ातिर,

    जिसका कि अभी वजूद नहीं था।

    भला किस तरह की मिसाल—हमें शंका हो सकती है—

    क्योंकि प्रण तो वह कर ही चुका था।

    जो भी हो, सत्य के फ़रिश्ते को उसने झटपट दफ़ा कर दिया

    जिसे एतराज़ था क्योंकि इंसान की फितरत है झूठ बोल

    और इसी तरह शांति के फ़रिश्ते को भी,

    जिसे एतराज़ था इंसान के लड़ाकू स्वभाव पर!

    इसके बावजूद, उनका विरोध जारी रहा

    हालाँकि ईश्वर ने, जो शायद दोषी था शेखचिल्लीपन का,

    ख़ुद उन्हें इंसान के बारे में आधा ही सच बतलाया था

    जब उसने दिखाया कि इंसान के भंडारे में उसने

    क़िस्म-क़िस्म के जीव-जंतु भर दिए हैं, तब

    हमें लगता है लगभग सभी हो गए थे संतुष्ट।

    हमें लगता है फ़रिश्तों को, मोटे तौर पर,

    यह संदिग्ध युक्ति प्रतीतिकर जान पड़ी,

    सिवाय उन तीन गिरोहों के, जिन्होंने बना लिया था एक प्रतिपक्ष।

    लेकिन ईश्वर ने अपनी एक लपट फेंक चिमटी जैसी उँगली दिखाई

    और उनमें से दो को किनारे लगा दिया,

    बचे रहे सिर्फ़ उनके सरपरस्त,

    जिससे कि तीसरे गिरोह को उसके

    नेता ने कर दिया आगाह सँभल जाने को,

    क्योंकि उस परमप्रभु को रोकना यूँ भी असंभव था।

    उन्होंने होनी को कर लिया क़बूल और पाया इन

    इंसान की सहचरी रूहें बन कर।

    साथ ही साथ हमें बताया गया है,

    हम फ़रिश्तगी और पार्थिवता के समन्वय के प्रतिनिधि हैं।

    फिर भी फरिश्तगी अगर हमारा बेहतर अंश माना जाता है,

    तो दरअसल हम फ़रिश्तों से कितने अधिक श्रेष्ठ हैं,

    उनसे ज़्यादा पुरजोश, उनसे कमतर बमभोले,

    क्योंकि, हालाँकि हम मानते हैं ईश्वर का विधान, जो कि अनिवार्य

    हम उसके वचन से अंतिम रूप से आश्वस्त नहीं हैं।

    हम उस भूमिका की ताईद नहीं करते जो उसने हम पर थोप दी

    हाँ, हम श्रेष्ठतर हैं फ़रिश्तों से,

    उन आद्य विद्रोहियों से,

    क्योंकि हम अंततः उनकी तरह घुटने नहीं टेकते।

    यह शायद इसलिए कि, उनके विपरीत,

    हम जनमते हैं और मरते हैं,

    और, इस आशय के प्रचार के बावजूद

    हमें झेलनी नहीं पड़ती दुख की अनंतता,

    और यह कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी हम

    डट कर करते हैं मुक़ाबला।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 229)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : डैनियल वेइसबोर्ट
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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