Font by Mehr Nastaliq Web

हम बाजब आ आखिरी साँस धरि बाजब

hum bajab aa akhiri saans dhari bajab

बिभूति आनंद

अन्य

अन्य

बिभूति आनंद

हम बाजब आ आखिरी साँस धरि बाजब

बिभूति आनंद

और अधिकबिभूति आनंद

    भग्न मनोरथ भयाक्रान्त जीवन

    चिरैता सन तीत मोन

    पाँखि कटल कोनो चिड़ै सन छटपट करैत शरीर

    —आब आर अधिक सहबा लेल शेष अछिये की?

    अहाँक मूँह/जेना वंशी बजैत हो

    हमर मोन/जेना राधा बनि जाइत हो

    सत्ते

    अहाँक प्रत्येक विश्वासघात

    हमरा लेल हँसिये बुझाइत रहल अछि

    आखिर क्रम कहिया धरि चलैत रहतै

    जे, अहाँक वंशी

    एकाएक बीन किये बनि जाइत अछि

    हमर साँप बनल मोन

    किये फुसिया जाइत अछि एहिधुनसँ

    हम पुछैत छी हुजुर

    जे अहाँ अपन एहि प्रेमनगरमे

    पाड़ा जकाँ उमकैत चरैत छी

    हमर एहन कोन अछि कसूर

    जे अहाँ गेन जकाँ खेलैत छी

    आखिर हम कखनधरि देखैत चलू?

    ओना, देखै लेल बहुत किछु देखैत छी, जेना—

    नाङट-भूखल स्त्री/उदाहरणस्वरूप प्रयोग होइत

    अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष

    अबैत समाजवाद/मन्त्री-कक्षमे होइत व्यभिचार

    भूखल पेट/जलसाक लेल होइत सुरक्षित फाइव-स्टार

    यौ हमर क्यो अप्पन

    देखा दिअ एहन कोनो ठाम

    जे चैन भेटि सकय

    सत्य बजैत छी/हमरा डाँड़ल जाइत अछि

    हम सभ किछु देखैत छी/हमरा पर आन्हरक मोहर दऽ देल जाइये

    हम किछु करबाक उपक्रम करैत छी/हमरा फोड़ि लेल जाइये

    यौ हमर भाग्य विधाता

    अहाँ हमर एहि मगजकेँ तोड़ि दिअ

    अहाँकेँ अकच्छ करैछ/ऐशोआराममे दखल दैछ

    की अही झँझटिक लेल अहाँ गादी गछारने रही?

    अहाँक इच्छाकेँ बाधित करैबला आदमी किन्नो ने भऽ सकैछ

    के कहैये

    शहीदक सम्मानमे अहाँ जे एते स्मारक बनबौने छी

    अत्याचारक सवाक स्मारक थिक?

    तँ पैतृक सम्पत्ति अछि अहाँक

    एकरा अपन मोनसँ पालैत छी

    दोसर यदि किछु बजैत अछि तँ

    निश्चय देशद्रोही थिक

    —ई चारणक पाँती

    बुझैत छी, अहाँकेँ तृप्ति दैत अछि

    मुदा एकरो एकटा सीमा होइछ

    सीमा—

    जखन अहाँकेँ एकर ख्याल नहि रहल

    हमरा अतिक्रमण करैत देखि

    किये आमिल पीबऽपर बिर्त्त छी

    मगज तँ हमरो अछि

    एकरा सहेजबाक कोशिश नहि करू

    हम कोनो फुद्दी जकाँ एहि ठाढ़िसँ ओइ ठाढ़ि

    फुदकैत रहब अस्वीकार करैत छी

    हम कोनो एक ठाढ़िकेँ घरऽ चाहैत छी

    ओकरा अपन बनबऽ चाहैत छी

    यो हमर संग उठल कोटि-कोटि हाथ!

    अहाँ विश्वास नहि करू/सोचि लिअ पहिने, जे

    नबका मुखिया सेहो अपन घरकेँ

    दरोगा/बी० डी० ओ०क बास्ते अजबारि रखलक अछि

    कहैत छी ने

    भावुक नहि बनाउ एकरा बेमतलब/फुटा-फुटाकऽ नहि उठाउ

    सत्ता-हस्तांतरित केनिहार नर-पिचास

    हमरा भ्रममे दऽ तोड़ैत अछि

    वट-वृक्ष जकाँ अपन सोढ़पर सोढ़ जोड़ैत अछि

    अरे वटवृक्ष! की कहैत छी

    जे हम बेर-बेर सोचि लिअ

    तनल हाथ अहाँक चरणमे समर्पित कऽ दिअ!

    जे देखैत छी सड़कक फुटपाथपर

    आकि लाटफारमक बाटपर

    ठेङा टेकने आङनक मुहथरिपर

    आकि देहरि-देहरिपर भूखल-सूखल आँखि

    पसारल हाथ

    की समर्पित नहि रहल एखनधरि अहाँक चरणमे?

    की भेटलै एकरा?

    अवमानना/आत्मग्लानि/टुटैत रहबाक अंतहीन सिलसिला

    आत्मबोध तँ आब भऽ रहल छै, जे कहैए

    कि हाथ पसारने जे चित्र थिक

    भारतक मानचित्र थिक

    जकरा अहाँक शब्दकोश कहैछ, जे

    सभ थिक गलीक कुकूर।

    आखिर एकरा कुकूर बनयबाक जिम्मेबार के अछि?

    हमरा मूहकेँ जाबबाक प्रयास जुनि करू

    हम बाजब आखिरी साँस धरि बाजब

    जे अहाँ हमरा

    खैनी-बीड़ीसँ ठकलहुँ अछि

    कान फुकिकऽ/चलानकऽ कऽ ठकलहुँ अछि

    बोनि दऽ कऽ ठकलहुँ अछि

    खेतक आरिपर बैसिकऽ ठकलहुँ अछि

    हम बाजब आखिरी साँस धरि बाजब

    स्रोत :
    • पुस्तक : उपक्रम (पृष्ठ 23)
    • रचनाकार : बिभूति आनन्द
    • प्रकाशन : भवानी प्रकाशन
    • संस्करण : 1984

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY