हमें हमारी इच्छाओं में पहले मारा जाता है

hamein hamari ichchhaon mein pahle mara jata hai

प्रदीप जिलवाने

प्रदीप जिलवाने

हमें हमारी इच्छाओं में पहले मारा जाता है

प्रदीप जिलवाने

और अधिकप्रदीप जिलवाने

    हमारे लिए कुछ रास्ते तय हैं

    और कुछ पगडंडियाँ भी

    हमें उन्हीं पर चलना है

    और अपने गंतव्य तक पहुँचना है किसी तरह

    चमकते हुए आदर्श हमें डरा देते हैं अक्सर

    इसीलिए अपने समुच्चयों में ख़ुशफ़हमी के शिकार हम

    मक्कारी में भी अपने लिए कोई आदर्श खोज लेते हैं

    अपने अँधेरों के आदी हैं हम

    हमें हमारी इच्छाओं में पहले मारा जाता है

    फिर उधार के रंगीन थ्री-डी चश्मों से हमें

    बंजर नंगी पहाड़ियों पर

    सौंदर्य-वन दिखाया जाता है

    और हम क़ायल हो जाते हैं

    और इन तकनीकी अदाओं पर घायल भी

    हमारी देह जो बहुत आसानी से जाती है

    अक्सर किसी रंग के संक्रमण में

    ख़ुद के लिए कोई प्रायोजक ढूँढ़ लेती है

    और यह बहुत आसान भी है इस देश-काल में

    जहाँ हिंसा से लेकर अनशन तक प्रायोजित हैं

    हमें हमारे तय रास्तों से ही करना है

    नैराश्य के महासमुद्रों को पार

    और इसके लिए बाज़ार में

    नए और कई नुस्ख़ों की भरमार हैं

    जो हमारी खोई, बिखरी और मरी हुई इच्छाओं में

    फिर-फिर प्राण फूँकते रहते हैं!

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रदीप जिलवाने
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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