घर में अकेली औरत के लिए

ghar mein akeli aurat ke liye

चंद्रकांत देवताले

चंद्रकांत देवताले

घर में अकेली औरत के लिए

चंद्रकांत देवताले

और अधिकचंद्रकांत देवताले

    तुम्हें भूल जाना होगा समुद्र की मित्रता

    और जाड़े के दिनों को

    जिन्हें छल्ले की तरह उँगली में पहनकर

    तुमने हवा और आकाश में उछाला था, पंखों में वसंत को बाँधकर

    उड़ने वाली चिड़िया को पहचानने से

    मुकर जाना ही अच्छा होगा...

    तुम्हारा पति अभी बाहर है

    तुम नहाओ जी भर कर

    आईने के सामने कपड़े उतारो

    आईने को देखो इतना कि वह

    तड़कने-तड़कने को हो जाए

    पर उसके तड़कने के पहले

    अपनी परछाईं को हटा लो

    घर की शांति के लिए यह ज़रूरी है

    क्योंकि वह हमेशा के लिए नहीं

    सिर्फ़ शाम तक के लिए बाहर है

    फिर याद करते हुए सो जाओ

    या चाहो तो अपनी पेटी को

    उलट दो बीचोबीच फ़र्श पर

    फिर एक-एक चीज़ को देखते हुए सोचो

    और उन्हें जमाओ अपनी-अपनी जगह पर

    अब वह आएगा

    तुम्हें कुछ बना लेना चाहिए

    खाने के लिए और ठीक से

    हो जाना होगा... सुथरे घर की तरह

    तुम्हारा पति

    एक पालतू आदमी है या नहीं

    यह बात बेमानी है

    पर वह शक्की हो सकता है

    इसलिए उसकी प्रतीक्षा करो

    पर छज्जे पर खड़े होकर नहीं

    कमरे के भीतर वक़्त का ठीक

    हिसाब रखते हुए...

    उसके आने के पहले

    प्याज़ मत काटो

    प्याज़ काटने से

    शक की सुरसुराहट हो सकती है

    बिस्तर पर अच्छी किताबें पटक दो

    जिन्हें पढ़ना क़तई आवश्यक नहीं होगा

    पर यह विचार पैदा करना अच्छा है

    कि अकेले में तुम इन्हें पढ़ती हो...

    स्रोत :
    • पुस्तक : जहाँ थोड़ा-सा सूर्योदय होगा (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : चंद्रकांत देवताले
    • प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
    • संस्करण : 2008

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