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गँवारों का बपतिस्मा

ganvaron ka baptisma

येव्गेनी विनोकुरोव

अन्य

अन्य

येव्गेनी विनोकुरोव

गँवारों का बपतिस्मा

येव्गेनी विनोकुरोव

और अधिकयेव्गेनी विनोकुरोव

    बपतिस्मा था

    कहीं गँवारों का

    बीच नदी के

    उनको गया उतारा

    कंधे तक डूबे

    तब वे समझे

    अंत निकट है...

    सिर से ऊपर उनकी तलवारें चमकीं

    इसलिए दर्शकों की दृष्टि में

    बपतिस्मा

    नहीं मुट्ठियों का हो पाया

    कितना ही हो सौम्य भला

    आदेश धर्म का

    भलमनसाहत की भी होती

    कोई सीमा

    ध्यान मुझे अपनी मुट्ठी का

    रखना होगा

    बन जाऊँ मैं सभ्य

    किंतु बल इसमें भरना होगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 258)
    • रचनाकार : येव्गेनी विनोकुरोव
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975

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