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अपने हाथों के बीच

apne hathon ke beech

अनुवाद : सुरेश सलिल

लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

अन्य

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लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

अपने हाथों के बीच

लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

और अधिकलियोपोल्ड सेडार सेंगोर

    अपने हाथों के बीच थामे हुए थीं तुम योद्धा का काला चेहरा

    जो भविष्यसूचक धुँधलके से प्रभासित था।

    पहाड़ी पर से मैंने देखा तुम्हारी आँखों की खाड़ियों में सूर्यास्त।

    अब कब देखूँगा दोबारा मैं अपनी धरती,

    तुम्हारे चेहरे का निर्विकार दिगंत?

    कब बैठने को मिलेगी मुझे तुम्हारे भूरे वक्षों की मेज़?

    मधुर निर्णयों का नीड़ छाया में है।

    मैं देखूँगा भिन्न आकाश और भिन्न आँखें

    मैं करूँगा नींबुओं से अधिक ताज़ा

    अन्य होंठों के झरनों का जल-पान,

    सोऊँगा मैं, आँधियों से सुरक्षित, अन्य केशों की

    छाजन के नीचे।

    किंतु हर वर्ष जब वसंत की मदिरा उत्तेजित करेगी शिराओं को

    भरूँगा मैं नए मातम से अपने घर को

    और बरसेंगी तुम्हारी आँखें

    घास के प्यासे मैदान पर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 213)
    • रचनाकार : लियोपोल्ड सेडार सेंगोर
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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