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एना त नहि जे

ena ta nahi je

हरेकृष्ण झा

अन्य

अन्य

हरेकृष्ण झा

एना त नहि जे

हरेकृष्ण झा

और अधिकहरेकृष्ण झा

    हमर अहाँक तानल मुटठी

    महकारिक फ'र

    कोना भ' गेलः

    सोचने त' रही

    जे सिनुरिया लिच्चीक

    घौरछा सभ

    बहरायत एहि मे सँ

    अमारक अमार!

    हमरा अहाँक बीच

    अनगिनित मोनि

    कोना फुटि गेल,

    जाहि मे सोनित

    अपने लोकक

    चकभाउर दैत

    रहैत अछि:

    सोचने त' रही

    जे लाल टुहटुह चँगेरा

    हरिनकेर धान सँ उमटाम

    साजल रहत

    हमरा सभक बीच

    दियाबातीक दीपक

    पाँत जकाँ

    निरसल लोक सभक लेल!

    हमर अहाँक

    हृदय माथ

    अपन-अपन तानल मुट्ठी मे

    सुन्न कोना

    भ' गेल :

    सोचने त' रही

    जे एहि मे सँ

    बहरायत गनगन करैत

    खनहन भोर

    अभिनव वसंतक!

    खाहे कतबो अनूप होथि सुर्ज आनक,

    आखिर कतेक दूर धरि

    काजक हेताह

    हमरा सभक लेल :

    एना नहि जे

    अपन माटिपानि

    अपन सुधिबुधि सँ

    अपन सुर्ज रचबाक

    कनियो चेत नहि भेल,

    कहियो चेत नहि भेल।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एना त नहि जे (पृष्ठ 81)
    • रचनाकार : हरेकृष्ण झा
    • प्रकाशन : रक्तमंजरी प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

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