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लापता कविता

lapata kavita

ऋद्धि गिरि

अन्य

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ऋद्धि गिरि

लापता कविता

ऋद्धि गिरि

और अधिकऋद्धि गिरि

    डायरी से निकल कर रोज़ भाग जाती है कविता

    वह छुप जाती है, भावनाओं के भीतर 

    जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ती।

    मैंने माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापित की

    मैं रोज़ घँटो ध्यान करता हूँ, व्यायाम करता हूँ,

    मैं रातों-रात जागकर चाँद को निहारता हूँ,

    मैं अपनी प्रेमिका के बाल संवारते हुए 

    उनमें फूल सजाता हूँ,

    मैं सूर, तुलसी, निराला, मुक्तिबोध के पन्नों को

    रोज़ ग्लूकोज़ में मिला कर पीता हूँ,

    मैं रोज़ द्वार खोल कर कविता का इंतज़ार करता हूँ,

    मुझे कविता के होने का आभास होता है

    परंतु जब मैं नस काटकर देखता हूँ

    कविता नहीं बहती मेरे रगों में

    मेरे लहू से शब्द नहीं निकल आते

    मैं एक महान कवि बनना चाहता हूँ, मैं अच्छी कविताएँ लिखना चाहता हूँ,

    परंतु डायरी से निकल कर रोज़ भाग जाती है कविता

    वह छुप जाती है, भावनाओं के भीतर

    जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ती

    कविताएँ मिलती है मुझे

    कोटा के पंखों पर पड़ी धूल में

    महाविद्यालयों की फीस रिसिट में

    सब्ज़ी वाले की आँख के नीचे पड़ी झुर्रियों में

    धसकी अँगीठियों में

    लटक रही है कविता किसान की लाश में

    जीत गए इलेक्शन के बाद, कचरे में पड़ी है कविता, मेनिफेस्टो के साथ

    शोर करती है कविता, भूखे बच्चे के पेट से

    जा रही है कविता, रेलगाड़ी में

    बैठी है मज़दूर के बगल में, फ़ूक रही है सिगरेट

    चुनी जाएगी दीवार में, वो भी, सीमेंट में रेत के साथ घुलकर

    मिलती है कविता मुझे, वैश्या की चप्पलों में

    गौरैया के घोलसलों में

    उस लड़की को आँखों में बहती है कविता

    जो फिर से कर लेती है प्रेम, 

    बना लेती है एक विदेशी को अपना पति, रख लेती है पिता का मान 

    रिक्शे के पहिए के साथ, घूमती रहती है कविता

    मैं पकड़ लाता हुँ उसको

    नहला कर, साफ़ कर देता हुँ 

    शब्दों के तागे से कस देता हुँ उसके पैर

    बाँध कर फिर सिल देता हुँ पन्नों से,

    मैं एक महान कवि बनना चाहता हूँ, सिर्फ़ अच्छी कविताएँ लिखना चाहता हूँ,

    परंतु डायरी से निकल कर रोज़ भाग जाती है कविता

    वह छुप जाती है, भावनाओं के भीतर

    जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ती।

    स्रोत :
    • रचनाकार : ऋद्धि गिरि
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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