एक अजीब बात

ek ajib baat

अतिया दाऊद

अतिया दाऊद

एक अजीब बात

अतिया दाऊद

और अधिकअतिया दाऊद

    जो भी सुनता है

    चौंक उठता है

    आज एक लड़की ने

    सदके के क़ुर्बानगाह पर

    सर टिकाने से इनकार किया है

    उसने जीना चाहा है, पर

    लोग तंज़ के पत्थर लेकर

    संगसार करने आए हैं

    शौहर को ख़ुदा मानने से इनकार किया है

    कुफ़्र किया है!

    उसने जीना चाहा है

    रोटी, कपड़े और मकान के लिए

    संघर्ष करना चाहा है

    बख़्शिश में मिले जीवन को

    स्वीकार नहीं किया है

    अपनी बागडोर को औरों के हाथ से छीना है

    ख़ुद को इंसान समझकर

    फैसले करने का हक़ चाहा है

    उसने जीना चाहा है

    सदियों से पहना चिह्न, गले से उतारा है

    रोशनी की एक किरण के लिए

    रीति-रस्मों को उलांघा है

    उसने जीना चाहा है

    जो भी सुनता है

    चौंक उठता है!

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक थका हुआ सच (पृष्ठ 60)
    • रचनाकार : अतिया दाऊद
    • प्रकाशन : श्री प्रकाशन, दिल्ली
    • संस्करण : 2017

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