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दूर

door

कॉफ़ी हाउस में सबसे सुंदर लड़कियाँ चाय पीती थी

उनके ऊपर छोटा-सा बल्ब ऐसे जलता था

जैसे एक पर्सनल चाँद हो उनके सिर के ऊपर

दूर म्यूजिक ऐसे बजता था जैसे

ख़ामोश समंदर पर एक लहर अपनी आवाज़ दे

उनकी हँसी ऐसी थी जैसे बेफ़िक्र डॉल्फ़िन

उसी समंदर में ग़ोते लगाती हो

दूर लड़के अपनी नाराज़ प्रेमिका को

बड़े बेचैन होकर फ़ोन पर मनाते थे

लड़कियों के टी-शर्ट पर

शाम का रंग उतरा करता था

और उनके गले में लटका लॉकेट

हल्के से हिला करता था

मैं दूर बैठे-बैठे उन्हें निहारता रहता था

और उन्हें देखते हुए समय को

सबसे ख़ूबसूरत माना करता था

उनकी बेफ़िक्र बातों में

नदियाँ तैरा करती थीं

और जब एक लड़की दूसरी से कहती थी

बस पाँच मिनट और

तो मैं घड़ी को रोकने की

हर कोशिश किया करता था

मैं उनमें से किसी भी लड़की का

नाम नहीं जानता था

मैं उनके बारे में लिखता रहता था

यह उन्हें कभी नहीं बताया

स्रोत :
  • रचनाकार : मानस भारद्वाज
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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