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इन नाउम्मीदी दूरियों में

in naummidi duriyon mein

आन येदरलुंड

अन्य

अन्य

आन येदरलुंड

इन नाउम्मीदी दूरियों में

आन येदरलुंड

और अधिकआन येदरलुंड

    इन नाउम्मीदी दूरियों में।

    जो यहाँ हो सकती हैं वहाँ।

    वे अपने अनुक्षेत्रों में झिलमिलाती हैं।

    स्वयं को बाहर निकालती हुईं और फिर पूर्ण अंधकार।

    यह कितना घना है।

    केवल अंत के कुछ दिन ही अपनी जगहों पर लौटेंगे।

    कोई जगह बदल सकता है।

    लेकिन कोई ऐसा नहीं करता।

    यहाँ तक कि परमाणु भी अपनी जगहें बदल सकते हैं

    और सब कुछ अपने आपको।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : आन येदरलुंड

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