धौली पहाड़

dhauli pahaD

पद्मचरण पटनायक

पद्मचरण पटनायक

धौली पहाड़

पद्मचरण पटनायक

और अधिकपद्मचरण पटनायक

    धौली पहाड़, धौली पहाड़ तुमने

    क्या कुछ कह दिया राजा के कान में?

    कौन-सी गाथा सुना दी,

    घड़ी में राजन,

    डूब गए अपूर्व समाधि ध्यान में।।

    रणोन्माद में मत्त विजय उल्लास में,

    लोट रहे थे तब चरणों तले।

    आशा के महल कितने बनाते रहे,

    क्यों वे बह गए नयनों के जल में?

    ध्यान भंग कर देखा, होकर चकित

    तेरे आगे नीचा किया मस्तक

    विकल हो कहा - क्या किया! क्या हुआ,

    तभी प्राणों में हुई दारुण व्यथा।।

    क्या किया - किया किया!

    कहाँ से कहाँ गया

    पड़ गया किस घोर जिगीषा के जाल में।

    किसलिए यह सब कर दिया,

    क्या यही लिखा विधाता ने इस भाल में।।

    शोणित का स्त्रोत सवयं बहाया मैंने

    कैसे यह शोक मिटेगा कहो मेरा।

    सामने लेलिहान चिता देखो जलती,

    जीवननाशी चिता ही यहाँ चिता।।

    स्वयं नाश किया अगणित प्राणों का

    कितने घर मैंने ही श्मशान बना डाले।

    कितने प्राणों को सिहराया है

    कितने सौंध स्वयं ही जला डाले।।

    कैसी प्यास लिए जनमा था मैं

    युग-युग में क्या होगी इसकी शांति।

    सारा जीवन डूब गया है मेरा

    असार आशा, लेकर मधुर भ्राँति।।

    लुब्ध मृग-सा मैं मुग्ध होकर

    इंद्रिय सुख में बिताया काल।

    जलती आग ने ईंधन दिया

    पापपूर्ण किया यह संसार।।

    धूमकेतू-सी वह दीर्घ पूँछ ले

    बो दिया मौत का बीज, यातना का राज।

    जनता के अश्रु रक्त्त स्रोत में बहता आया

    इस गिरि के चरणों में पहुँचा आज।।

    इस गिरि चरणों में, इस नदी तट पर

    पाई आज यह परम शिक्षा

    यह कलिंग देश बन गया गुरु मेरा

    ले ली आज यहीं जीवन की दीक्षा।।

    यहाँ बैठ, इस नदी तट पर बैठ

    बितानी होगी मुझे जीवन की रात।

    साक्षी हैं यहाँ मेरे जीवन पति

    साक्षी हैं दस दिक्पाल मेरे आज।।

    शुभ योग में कलिंग विजय को

    किया मन मैंने, चुक गया सारा बल।

    देव-देश आया देव का अनुग्रह हुआ

    भोग रहा हुँ, आज किस तप का फल।।

    यह तप का फल, यही धर्म बल,

    अब जीवन में मेरा बने भूषण।

    इस बल से प्रभु दूर कर दें

    लाखों प्राणियों के प्राणों का कषण।।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 38)
    • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
    • रचनाकार : पद्मचरण पटनायक
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2009

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