Font by Mehr Nastaliq Web

धधरा

dhadhra

अंशुमान सत्यकेतु

अन्य

अन्य

और अधिकअंशुमान सत्यकेतु

    की सपना देखबाक अधिकार

    अहीँ टाकेँ अछि

    हमरा नहि

    सपना सभ देखैत अछि

    चुट्टीसँ लऽ कऽ मनुक्ख तक

    की बिसरि गेलियै भंगिनकेँ

    जे अपन सपनाक खातिर

    मारने रहनि

    अपन गोबरक छिट्टासँ

    राजा प्रसेनजितकेँ

    कि एकलव्यकेँ

    जे अपन सपना पूर करबा लेल

    काटि लेलक अपन औँठा

    भाइ

    हम अपन सपना किन्नहु ने बेचब

    व्यक्तित्व विसर्जनक एहि दौरमे

    अहाँ बरू सेबने रहू

    आस्थाक बलत्कृत डोर

    बनल रहू पाथरक दास

    हम अपन तामसकेँ

    मुदा नहि तेजब

    ओना

    यादि राखब भाइ

    पाथर बना दैत छैक

    कायर

    निकम्मा

    भाइ

    सपना सपने नहि रह जाय

    तेँ धऽ लियऽ बाट हमर

    पाथरक माथपर तरुआरिक नोंक पिजा

    खुखुरीपर सान चढ़ा

    ओकरो बन्हन तोड़ि दियौ

    हरेक करेजमे

    एकटा धधरा जरा दियौ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एखन धरि (पृष्ठ 62)
    • रचनाकार : अंशुमान सत्यकेतु
    • प्रकाशन : नवारम्भ
    • संस्करण : 2018

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY