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डगर महकी

Dagar mahki

आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'

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और अधिकआद्या प्रसाद 'उन्मत्त'

    बहि गइ पूरब कइ बयरिया डगर महकी,

    फूलइ लागीं फुलवरिया डगर महकी।

    महके खेत महकिगे झुरमुट, महके ताल तलइया,

    फुलगेनवा कइ महक उड़ावत झूमि चली पुरवइया।

    झूमइ लागीं अरहरिया डगर महकी,

    बहि गइ पूरब कइ बयरिया डगर महकी।

    पनघट के जमघट मा चरचा छिड़िगै बालेपन कइ,

    छम छम छम पायल बाजइ चुरिया खन खन खनकइ।

    छलकइ गोरी कइ गगरिया डगर महकी,

    बहि गइ पूरब कइ बयरिया डगर महकी।

    लौटि चले पसु अउर पखेरू अपने अपने थाने,

    गइका का थन ताकि ताकि बछरू मन मा ललचाने।

    बोली दुधवा केरी धरिया डगर महकी,

    बहि गइ पूरब कइ बयरिया डगर महकी।

    आइ बसंत सजे अमऊ बउरन कइ मउर लगाए,

    गौने कइ दुलहिन अस लाजन मारी सीस नवाए।

    नाचइ लागीं बँसवरिया डगर महकी,

    बहि गइ पूरब कइ बयरिया डगर महकी।

    जला अलाव बइठि तापैं सितलू साजा सुखरानी,

    गुड़ गुड़ गुड़ हुक्का बोला फिर चरचा छिड़ी पुरानी।

    लागइ लागीं सरबरिया डगर महकी,

    बहि गइ पूरब कइ बयरिया डगर महकी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : माटी औ महतारी (पृष्ठ 59)
    • रचनाकार : आद्या प्रसाद 'उन्मत्त'
    • प्रकाशन : अवधी अकादमी

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