छोटी इ की मात्रा

chhoti i ki matra

बजरंग बिश्नोई

बजरंग बिश्नोई

छोटी इ की मात्रा

बजरंग बिश्नोई

और अधिकबजरंग बिश्नोई

    मुझे नहीं मालूम था

    कि इतना निर्दयी हूँ मैं

    हो सकता है मुझे यह भी

    मालूम हो कि प्रेम करने के पहले

    थोड़ी दया भी बचाकर रखनी चाहिए

    उसने प्रेम की ओलम

    पट्टी पर मढ़ते हुए कहा कि

    मैं तुम्हारे नाम में

    छोटी की मात्रा बनकर रहना चाहती हूँ

    बस उतनी जगह घेरूँगी

    जितनी अलगनी पर सूखती तुम्हारी क़मीज़

    और तौलिया के बीच बच रहती है

    और उस पर अपने नन्हे पंजे टिकाकर

    जैसे गौरैया तुम्हें देखती रहती है

    मुझे पंजे टिकाने भर की जगह

    अपनी अलगनी में दे दो

    मैंने सिर से पाँव तक उसे घूरकर देखा

    और उसके पंजे देखकर

    उपेक्षा से सिर हिला दिया

    नहीं

    यह नहीं हो सकता

    मेरे नाम में पहले से ही बड़े की मात्रा लगी है

    अगर बचाकर रखी होती थोड़ी-सी दया

    तो क़मीज़ की एक बाँह

    पलट कर जगह बनाई जा सकती थी

    गौरैया के पंजों भर की

    अलगनी पर पसारकर गीले कपड़े

    सुखाने के पहले मरोड़कर

    निचोड़ने और ज़ोर से फटकारने की

    आदत ने सख़्ती बढ़ा दी

    फिर भी प्रेम किया

    और निर्दय भी हुआ

    गौरैया आँगन की कार्निश पर बैठी है

    अलगनी ख़ाली पड़ी है

    मैं अलगनी से कपड़े उतारकर

    प्रेस कर रहा हूँ

    इस बार निर्दयता से कपड़ों की

    शिकन निकाल रहा हूँ

    अपनी तो निकाल नहीं पाया

    उसे भी पता है कि वह छोटी की मात्रा है

    सही अलगनी पर

    मुंडेर पर तो आना बना रहेगा

    और मेरे नीचे की मात्रा लगी है

    जो मुझे और नीचे नहीं खींच सकती

    उल्टे मुझसे ही लटकी रहेगी

    स्रोत :
    • रचनाकार : बजरंग बिश्नोई
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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