हाँ मैं छम्मक छल्लो हूँ
अपने रुँधे हुए होठों को
डार्क रेड लिपस्टिक से रंगना
आँखों के गड्ढों को भरने के लिए
लाइनर की पतली रेखा खींचना
अपने उदास मन पर
मस्त तेल की चंपी करने से
अगर मुझे कोई छम्मक छल्लो
कहता है तो।
हाँ मैं छम्मक छल्लो हूँ
पैरों में खनकती पायल न सही
दो फुट हील से
बढ़ा लेना अपना,
खोया हुआ आत्मविश्वास
सुबह से शाम तक
की थकाऊ डेस्क जॉब के बीच
ख़ुद को रंगना
रंग-बिरंगी पोशाकों के साथ
इसमें भी अगर कोई आपको
कहता है छम्मक छल्लो
तो आप ख़ुशी से कहिए
हाँ मैं छम्मक छल्लो हूँ
मैं क्यों मानूँ की
छम्मक छल्लो मुझे
नीचा दिखाने के लिए
कहा जा रहा है
पर ए ज़माने
तेरी सुनी है ज़माने से जिन्होंने
उन्हें नसीब सिर्फ़ बेड़ियाँ,
बंदिशें और घुटन हुई
गर कहता है मुझे कोई छम्मक छल्लो
तो मैं गर्व से कहती हूँ कि
हाँ मैं छम्मक छल्लो हूँ
बॉस की डाँट,
क्या करना है
क्या नहीं करना
कैसे चलना है
कैसे बोलना है
बताने वालों की वजह से आए
आँसुओं को छुपाने के लिए
लगा लेती हूँ फ़ाउंडेशन
सुस्त चेहरे को उभारने के लिए
गालों पर मल लेती हूँ लाल रंग
और फिर मुझे तुम कहते हो छम्मक छल्लो
तो हाँ मैं छम्मक छल्लो हूँ
हो सकता है
मेरे क्रॉप टॉप से
दिखती मेरी क़मर से
तेरी नसीहत के रोंगटे
खड़े हो जाते होंगे
मेरी सिगरेट का धुआँ
तेरे सीने में दमघोट रहा होगा
पर, मेरे सूट सलवार
पहनने पर भी
तुझे मेरी ब्रा का रंग दिख जाता है
तो मैं क्या कर सकती हूँ
दोस्त…नज़रों में तुम्हारी
मोतियाबिंद है
इलाज़ मैं कैसे कर सकती हूँ
पर सुन लो
दुनिया के ठेकेदारों
तुम जितना रोकेगे, टोकेगे
मैं उतनी तेजी से बहूँगी
तोड़ूँगी हर उस सोच को
जो मेरी लाली की लालिमा को
मेरे चरित्र से जोड़कर
मुझे चरित्रहीन
बताना चाहती है
मैं सजूँगी, सवरूँगी
और रोज़ नई मुस्कान के साथ खिलूँगी
कर ले ज़माना
जो करना है
मैं तो हर रोज़ कहूँगी
कि हाँ मैं छम्मक छल्लो हूँ
- रचनाकार : मीना प्रजापति
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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