Font by Mehr Nastaliq Web

चंबल की आवाज़

chambal ki avaz

बलराम कांवट

बलराम कांवट

चंबल की आवाज़

बलराम कांवट

और अधिकबलराम कांवट

    चंबल की घाटियों और खेतों में

    अकेले भटकते हुए

    बुझी आँखों से देखते हुए

    साँझ का सूरज

    जब भी धरती के दुःखों के बारे में सोचता हूँ

    तो लगता है

    कितना जटिल है जीवन

    होना कितना असहनीय

    जैसे किसी चीज़ का कोई अर्थ नहीं

    जैसे सब कुछ

    समझ से कोसों दूर है

    ऐसे में कभी कभी

    मन करता है

    कि बस! जहाँ जिस खेत में खड़ा हूँ

    वहीं उतार दूँ अपनी चप्पलें

    और चला जाऊँ उस पगडंडी की ओर

    जहाँ आगे पीछे

    एक एक दिन

    सबको जाना है

    लेकिन जैसे ही देखता हूँ

    इस अनाम दिशा की ओर

    सारी दिशाओं से कई आवाज़ें आती हैं

    बच्चों की तरह दौड़ती हुईं

    और उँगली पकड़कर

    मुझे थाम लेती हैं

    टीलों और खाइयों में खिले

    डांग के फूल मुझे मुड़कर देखते हैं

    नदी किनारे सरसराते कांस की आवाज़ें

    मुझसे कहती हैं

    इतना भी मुश्किल नहीं है यह समझना

    कि जहाँ जहाँ पहुँचेगा जल

    घास और फूल

    खिलते रहेंगे पृथ्वी पर

    मुझे उस मल्लाह की आवाज़ रोकती है

    जो कहता है

    नदी पार करना

    इतना भी कठिन नहीं

    इन बीहड़ों में

    दूर से दिखता मुझे मेरा गाँव रोकता है

    गाँव में थान पर बैठा देवता रोकता है

    थान पर नाचते मोर

    और खेलती गिलहरियाँ

    रोकती हैं मुझे

    मुझे चिरौल की टहनी पर बैठी

    फ़ाख़्ता रोकती है

    जब उसकी आवाज़ घुलती है

    पास ही भैंस चराती किसी गूजरी के गीत से

    तो उसका गीत मुझे रोकता है

    जो कहता है

    बहुत सुंदर है पृथ्वी पर फ़ाख़्ता की आवाज़

    इतना सुख बहुत है

    यहाँ ठहरने के लिए

    होने के लिए

    इतना मतलब बहुत है

    मुझे वापस अपनी गोद में बुलाती है

    यह कलकल बहती

    नदी चंबल

    यह कहते हुए कि कहाँ जाएगा मुझे अकेला छोड़कर

    मैं तो तब से इस दुनिया से अपशब्द सुन रही हूँ

    जब मैं एक बूँद हुआ करती थी

    कितनी तलवारें

    कितनी गोलियाँ

    फिर भी जीवन को जल देती हुई

    टिकी हुई हूँ

    अब भी धरती पर

    इस तरह आकाश की ओर जाती

    उस पगडंडी की ओर जाने से

    मुझे धरती पर बहती

    एक नदी रोकती है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : बलराम कांवट
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY