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बिखाह मौसम

bikhah mausam

रोशन जनकपुरी

अन्य

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रोशन जनकपुरी

बिखाह मौसम

रोशन जनकपुरी

और अधिकरोशन जनकपुरी

    हम कहै छी

    मरल नहि

    मारल गेल अछि

    एकरा विरुद्ध

    कयल गेल अछि षडयंत्र

    दऽ देल गेल अछि एकरा

    जहर,

    अहाँ मानु, ने मानु

    मुदा हम कहै छी ने

    मरल नहि

    मारल गेल अछि।

    जँ होय नहि विश्वास

    तँ खोजू एहन शव परीक्षण विधि

    जतऽ भऽ सकै पोस्टमार्टम

    एकर मनकेँ

    जतऽ जमा रहैत छै

    अनुभूति प्रतिक्रिया।

    जँ भऽ सकलै पोस्टमार्टम

    एकर मनक

    तँ खुलि जेतै सब बात

    भट् दऽ

    जे देल गेल छल एकरा

    जहर,

    बेरोजगारीकेँ

    गरीबीकेँ

    भूखकेँ

    जातीय तिरस्कारकेँ

    राजकीय अवचनवद्धताकेँ।

    जँ बजा सकै छी

    कनियोँ काल ले एकरा

    तँ बजाकऽ देखियौ,

    कहत

    जे हमरा मारऽमे

    सामिल छल सब,

    समाज-नगर-देश

    अहूँ, अहूँ।

    ठीके ने।

    मौनता सेहो

    होइत अछि

    स्वीकृतियेक लक्षण ने।

    ओना निश्चिन्त होयबाक अवस्था

    ककरो नहि अछि,

    कमोबेस

    पिआयल जा रहल छै

    सबकेँ जहर।

    एहन जहर

    जकरा पीबि कऽ

    मरलहबाक लाशके

    पोस्टमार्टम करऽबला

    अखन नहि अछि

    कोनो डाक्टर,

    ने कोनो विधी।

    ओना भविष्य

    जनैये के?

    बचब केओ नहि

    कारण, मौसमे अछि बिखाह

    तेँ आबो

    मानि लिय

    जे मरल नहि

    मारल गेल अछि।

    ओना अहाँ मानी,

    नहि मानी,

    हम तँ कहबे करब।

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय गीत (पृष्ठ 35)
    • रचनाकार : रोशन जनकपुरी
    • प्रकाशन : मैथिली विकास कोष, जनकपुर
    • संस्करण : 2013

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