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भला काम

bhala kaam

यारोस्लाव स्मेलयाकोव

अन्य

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और अधिकयारोस्लाव स्मेलयाकोव

    मैं पुत्र नहीं था उसका

    सौतेला बेटा था

    और परिस्थिति मुझे ज़रा भी

    सुखद नहीं थी

    किंतु हृदय में

    अब तक भी अफ़सोस बना है

    उसके प्रति क्यों नहीं सदय

    और भला बन सका

    जिसने बचपन में था मुझको

    पाला-पोसा

    अंत समय में

    जबकि मौत ने उसे बुलाया

    माँ कहती है—

    आख़िरी साँसों के क्षण में

    उसने मुझको याद किया था

    और कहा था—

    'अगर कहीं जो वह जाता

    केवल जाता

    तो मैं फिर जीवन पा जाती...’

    उस ग़रीब बूढ़ी औरत से

    चाहा जिसको मैंने

    कभी कहा था—

    जब मैं बड़ा बनूँगा

    तब मिठाइयाँ और रोटियाँ

    सब ख़रीद लूँगा उसकी मैं

    और बना कर दूँगा उसको लकड़ी का घर

    ऐसे वचन

    बिना कुछ सोचे-समझे

    दिए बीसियों मैंने

    घेराबंदी में जब लेनिनग्राद पड़ा था

    द्वार खुला था...

    घर में भूखा रोगी एक पड़ा

    मैंने उससे कहा—

    'प्रतीक्षा थोड़ी कर लो

    मैं आता हूँ’

    लेकिन जब आया

    वक़्त हाथ से निकल चुका था

    पंथ हज़ारों मैंने पार किए हैं

    अब ख़रीद सकता हूँ

    उस बुढ़िया की रोटी

    अब बनवा सकता हूँ मैं

    उसको घर

    लेकिन अब वे नहीं रहे हैं

    जिन्हें मदद की मेरी

    सख़्त ज़रूरत थी

    काम भलाई का मत टालो

    उसको फ़ौरन ही कर डालो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 200)
    • रचनाकार : यारोस्लाव स्मेलयाकोव
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975

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