Font by Mehr Nastaliq Web

भगदड़ में कुछ लोग मरे हैं

bhagdaD mein kuch log mare hain

प्रशांत रमण रवि

प्रशांत रमण रवि

भगदड़ में कुछ लोग मरे हैं

प्रशांत रमण रवि

और अधिकप्रशांत रमण रवि

    एक भगदड़ में

    कुछ लोग मरे हैं।

    मंत्री जी घटनास्थल की ओर

    प्रस्थान कर चुके हैं—

    उनके पीछे कैमरों की भीड़ है,

    और सामने

    चप्पलों की एक बिखरी हुई कतार।

    सरकारी बयान चुका है—

    “हम दुखी हैं।”

    मुआवज़े की फ़ाइलें

    दुख की तरह

    धीरे-धीरे सरक रही हैं

    एक टेबल से दूसरी।

    

    वे लोग

    जो सीढ़ियों पर गिरे थे—

    क्या उन्हें पता था

    कि वे अब एक ‘भीड़’ हैं?

    या क्या वे

    अपने वोटर कार्ड की तरह

    अब भी ख़ुद को

    'नागरिक' मान रहे थे?

    एक अख़बार के कोने में

    किसी अधूरी चप्पल की तस्वीर छपी—

    अगली सुबह उस पर

    किसी ने

    चाय का कप रख दिया।

    यह सब कुछ

    अब 'दुर्घटना' है—

    जैसे होना ही था।

    जनता चीख़ती है,

    सरकार शोक प्रकट करती है,

    और हम

    एक और संख्या में

    मरते हैं।

    यह कविता नहीं—

    समाचार है।

    जिसमें कुछ लोग मरे—

    और कोई हिला नहीं।

    क्योंकि

    हमारे लोकतंत्र में

    अब भी

    जीवन

    एक मुआवज़े से

    सस्ता पड़ता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रशांत रमण रवि
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY