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बेशक चिड़िया बिना कोई निशान छोड़े उड़ जाती है

beshak chiDiya bina koi nishan chhoDe uD jati hai

अनुवाद : सुरेश सलिल

फ़र्नांदो पेसोआ

अन्य

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फ़र्नांदो पेसोआ

बेशक चिड़िया बिना कोई निशान छोड़े उड़ जाती है

फ़र्नांदो पेसोआ

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    बेशक चिड़िया बिना कोई निशान छोड़े उड़ जाती है

    जबकि जानवर ज़मीन पर

    अपने पैरों के निशान छोड़ जाता है।

    उड़ती हुई चिड़िया कितनी निरासक्त होती है,

    होना भी चाहिए।

    जानवर, किसी जगह होते हुए भी (ख़्वाहमख़्वाह)

    दर्शाता है कि वह वहाँ था (ख़्वाहमख़्वाह ही)।

    स्मरण राग प्रकृति के साथ विश्वासघात करता है

    क्योंकि लौटने वाले कल की प्रकृति

    प्रकृति नहीं है।

    जो बीत चुका वह शून्य है;

    स्मरण राग का अर्थ है शून्य में देखना।

    उड़ो, चिड़िया, उड़ जाओ, अदृश्य होने के लिए

    पहुँचती हो मुझ तक!

    स्रोत :
    • पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 91)
    • रचनाकार : फ़र्नांदो पेसोआ
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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