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बेलौस ज़िंदगी का तरफ़दार हूँ मैं

belaus zindagi ka tarafada hoon main

ऋतु कुमार ऋतु

अन्य

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ऋतु कुमार ऋतु

बेलौस ज़िंदगी का तरफ़दार हूँ मैं

ऋतु कुमार ऋतु

और अधिकऋतु कुमार ऋतु

    यह कैसा रास्ता है

    जो ठहरा है और ही जाता है

    किसी गंतव्य की ओर

    मगर मैं ज़िंदगी का मुसाफ़िर हूँ

    मुझे संधान करने हैं शब्द।

    मैं रचना चाहता हूँ

    हाड़-मांस का एक नया संसार

    जिसके लिए सिद्ध करना है यह रास्ता

    और पहुँचना है गंतव्य तक।

    जब तक छू लूँ

    ज़िंदगी के उत्स

    सौंप दूँ साँसों को सूर्य की अंतिम किरण

    नहीं करना है किसी अनिच्छा से कोई समझौता

    होना नहीं है असमय के आगे नतमस्तक

    करना नहीं है किसी देवपुरुष के आगे आत्मसमर्पण

    मैं पाना चाहता हूँ ज़िंदगी के उत्स।

    फलाँगता हूँ अत्याचारियों के चक्रव्यूह

    समुद्री ज्वार-भाटा और धरा के ज्वालामुखी पार करता हूँ

    लाशों के अंबार, श्मशान का हिमायती नहीं हूँ

    गाता हूँ प्राणों के दृश्य-गान

    बेलौस ज़िंदगी का तरफ़दार हूँ मैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : इस नाउम्मीदी की कायनात में (पांडुलिपि)
    • रचनाकार : ऋतु कुमार ऋतु

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