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बालकनी

balakni

आनंद बहादुर

अन्य

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आनंद बहादुर

बालकनी

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    मेरे कमरे के सामने

    एक छोटी-सी जगह है

    जिसे हम बालकनी कहते हैं

    आस-पास के अनेक मकानों में

    ऐसी कोई ना कोई जगह है

    नहीं, बल्कि सभी फ़्लैट वाले मकानों में

    एक एक बालकनी है

    घर के सभी कमरों के पास

    एक एक भारी-भरकम काम है

    ऐसे में एक बालकनी

    हर घर में क्या कर रही है?

    दरअसल वह

    एक बंद घर को खोल रही है

    उसे एक आसमान दे रही है

    उसमें रहने वाले अज्ञात लोगों को

    एक चेहरा दे रही है

    एक बालकनी के रहते

    आप कितना भी छुपना चाहें

    छुप नहीं पाएँगे

    घुटन भरी सोच वालों के लिए

    बालकनी रोशनी की ओर जाता हुआ

    एक रास्ता है

    बालकनी में रेलिंग नामक

    एक ख़ूबसूरत चीज़ और होती है

    मैं जब अपनी सोच के

    घुटन भरे कमरों से उकता जाता हूँ

    तो कविता की बालकनी में

    निकल आता हुआ

    रेलिंग पड़कर खड़ा हो जाता हूँ

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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