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अपने हिस्से का सुकून

apne hisse ka sukun

रंजना जायसवाल

रंजना जायसवाल

अपने हिस्से का सुकून

रंजना जायसवाल

और अधिकरंजना जायसवाल

    सुना है

    वो ढूँढ़ लेती है

    सब कुछ…

    सब कुछ!

    मतलब

    सब कुछ

    अमूमन हर खोई हुई चीज़

    जैसे…

    मकाँ की पेशानी पर पसरी हुई परेशानियाँ

    पति के महत्वपूर्ण काग़ज़

    स्कूल से लौटे हुए बच्चों की भूख

    रसोई में बंद डिब्बों में स्वाद

    दूध वाले का बिल

    डायरी में रखा सूखा गुलाब

    रिश्तों में भरे ग़ुस्से का ग़ुब्बार

    अम्मा की दवाई

    बाबू जी के माथे पर रखा चश्मा भी

    बस नही ढूँढ़ पाई

    अपने लिए वक्त

    अपने हिस्से का सुकून

    और सबसे ज़रूरी

    अपनों की नज़रों में

    ख़ुद के लिए सम्मान…

    स्रोत :
    • रचनाकार : रंजना जायसवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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