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अख़बार में बिसूरती हुई

जवान औरत की तस्वीर छपी है

तस्वीर झूठ बोल रही है

यह औरत विलाप कर रही है

ख़बर में साफ़ लिखा है

वह छाती पीट रही है

देखिए

उसकी पति कुचलकर मर गया है बस से

वे बसें जिनकी स्टेयरिंग

आदमी के हाथ में होती है

चलते-फिरते आदमी को बीच सड़क पर चिथड़े में बदल दे रही हैं

रोते हुए बच्चों और औरतों से अलंकृत हो रहे हैं अख़बार

लोग अख़बार पढ़ रहे हैं

और हँस रहे हैं

लालू यादव ने एक बयान दिया है

अख़बार में जनता रोती है

नेता हँसता है

सेठ पादता है

अधनंगी नायिकाओं का सिक्का चलता है

संपादक नशेड़ी पिनक में आँय-बाँय चिंता प्रकट करता है

अख़बार में हँसी, गंध-दुर्गंध, नींद-नशा, देह-नेह, ग्रह-दशा आदि-आदि है

देश के देह में लगी तमाम व्याधि हैं

देश पस्त है

सब मस्त हैं

ज़रा-सा आँसू नहीं है जो गीला कर दे अख़बार को

लोग अख़बार पर रखकर मिठाई

खा रहे हैं

हँस रहे हैं

और हँसते-हँसते निकल जा रहे हैं बसों की ओर

आँसू से आँखें चुरा रहे हैं लोग...

स्रोत :
  • पुस्तक : रेत पथ (अंक 3-5) (पृष्ठ 576)
  • संपादक : अमित मनोज
  • रचनाकार : हरे प्रकाश उपाध्याय
  • संस्करण : जुलाई 2014-दिसंबर 2015

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