आँखिक प्रश्न
ankhik parashn
राहत केम्पक मुँहथरि पर ठाढ़ भेल
करीब-करीब नौ-दस वर्षक
ओ अर्धनग्न बच्चा
भोर सँ साँझ धरि
बस तकैत रहैत अछि
पैघ-पैघ गाड़ी
नीक-नीक लोक
सुन्दर कुर्त्ता पाजामा
आ बरका टा ठोप आ पैघ दाढ़ीवला
इन्द्रधनुषी दोपटा
सुसज्जित लोक
एखन बेर-बेर अबैत छै
जाने किएक ओकरा केम्प मे
डोका सन आँखि
आ नाबुध मोन मे
उठैत छै बहुत रास प्रश्न
की हुअवला छै एतय
कोनो भोज-भात
नाच-तमाशा
या फेर की?
घुरि-फिरि जाइत अछि
माइक कोंचा पकड़ केँ
पूछि अबैत अछि/बहुत रास प्रश्न
जे मैल चीकट साड़ी पहिरने ठाढ़ अछि
नै जानि की सोचैत/ककर बाट तकैत
ओहि नेना केँ गाड़ीक सीटी सँ कौतुहल होइत छै
उत्सुकता जगैत छै
नव लोकक आगमन सँ
मुदा ओकरा लेल कियो
एकटा चाकलेटो नहि अनैत छै
आखिर किए?
किएक अबैत छै लोक
बेर-बेर ओकरा केम्प मे
उदास आ हताश भेल/माइक लेल
जरूरी नै बुझना जाइत छै
ओकर प्रश्नक उत्तर देनाइ
ओ बेर-बेर झकझोर केँ
टारि दैत छै ओकरा
ओकरा लेल तऽ एखन
घरबला सँ बेसी जरूरी बुझना जाइत छै
पेट भरि अन्न/माथ भरि छाहरि
जे घरबला जीवन-मरण में साथ निभेबाक
सप्पत खयने छलै
ओकरा नजरि मे कोनो प्रश्न नै छै
उत्तरो नै छै कत्तौ
ओकरा मोन मे उठैत छै
बहुत रास प्रश्न
जे हकक गोहारि लगबैत
पाछू-पाछू आबि रहल छै
राहत केम्प धरि
ओहि बच्चाक लेल जरूरी छै
बुझनाइ अपना प्रश्नक उत्तर
के कहतै
कियो बुझि नै रहल छै ओकरा
ककरो नै बुझि पड़ैत छै
कियो किछु नै बुझैत अछि
गूढ़ ज्ञान सँ ओकरा मतलब नै छै
मतलब छै तऽ बस अपन प्रश्न सँ
जकर उत्तर बुझनाइ जरूरी छै
ओ सब सँ पुछैत अछि
सब लग जाइत अछि
हारि नै मानैत अछि
सब सँ पुछैत रहैत अछि
आखिर कहिये दैत छै
ओकर बहिन एक दिन
जे ओकरा सँ जेठ छै
बौआ रौ कक्का कहैत छलै
चुनाव छै
तेँ अबैत छै
पैघ-पैघ लोक/नम्हर-नम्हर गाड़ी
मुदा ओहि बच्चा केँ संतोष नहि होइत छै
अन्त नहि छै कत्तौ
फेर सब सँ पुछैत अछि
प्रश्न
चुनावक मतलब की होइत छै
की ओहि सँ ओकर बाउ
घुरि अओतै
जा सकत ओ अपन घर
खेला सकत ओ अपना टोलक बच्चाक संग
खा सकत ओ अपना घरक रान्हल भात
एहि बेर कियो नै दैत छै
ओकरा प्रश्नक उत्तर
ककरो लग उत्तरे नै छै
सबहक लग छै केवल प्रश्न
जे सुतैत-जगैत/उठैत-बैसैत
छाह जकाँ/पाछाँ नै छोड़ैत छै
एको घड़ी
- पुस्तक : समयसँ संवाद करैत (पृष्ठ 48)
- रचनाकार : कामिनी
- प्रकाशन : स्मृति प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स
- संस्करण : 2008
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