बीच चौकपर ठाढ़
वस्त्रहीन आवरणहीन
कड़कड़िया रौदीक ताप केर विरुद्ध
अंग-प्रत्यंग क्षत-विक्षत
माथपर बैसल कौआ
मथाक गुद्दी खोंटि-खोंटि
खा रहल अछि मासु
मोनमे अंतहीन जिज्ञासा अछि
पुछितियैक कने ओकर नाम-गाम
जकर माथक गुद्दीक एहन दुरगज्जन भऽ रहल छैक
जे केओ ओकर निकट जाइ छै
तकरो वस्त्र कौआ नोचि-नोचि फाड़ि दैछ
देमागक गुद्दी खोधबाक प्रयत्न करैत छै
सामूहिक रौर संग
अपन स्वत्त्वमे
सभ किछु उजड़लाक बाद
कौआ मनुक्खसँ प्रतिशोध लेबाक एवजमे
अपन सभटा बेमार संगीक संगहि
प्रतिहिंसामे
अकाश फाड़ि दय वला रौर करैत
मनुक्खकेँ काँचे चिबाबय चाहैत छैक
- पुस्तक : एतबे टा नहि (पृष्ठ 58)
- रचनाकार : अरुणाभ सौरभ
- प्रकाशन : नवारम्भ
- संस्करण : 2017
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.