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भम्म पड़ैत दुपहरियामे

माझ परतीपर ठाढ़

देह परहक एक छिन्ने साड़ीकेँ

सुखाबऽ चाहैत अछि

निरावृत्त देहकेँ नुकेबाक ब्योंतमे नहि

तीतल कप्पाक गुमसड़ाइन गन्ह

ओकर अतमामे सोन्हियायल छै

व्याकुलताक एहि लबादाकेँ फाड़ि देबऽ

चाहैत अछि आब

कत्ते मनोरथ छलै गुजरी के ओइ दिनमे

हरियायल मोन लेने आयल रहय एतऽ

भरल-पूरल एकटा लोकक अंग बनिकऽ

झाँपि लेबऽ चाहै छल अपन आँचरक तऽरमे

समस्त जंजाल ओकर

जिनगीक एकटा नव पाटि गढ़बाक निमित्त

सहेटि लेबऽ चाहैत छल भोरहरबामे झरल

आँजुरक आँजुर उज्जर सिंहरहारक फूल

अपन करेजक नजीक

सुरड़ि दैत रहै मौलायल तृष्णाक कोंढ़ी सभ

सम्पूर्ण सरोकारकेँ सिंहरहार सन गमगम

चिक्कन-चुनमुन बनेबाक हेतु

मुदा भसकि गेलै सभ हौआ जिनगीक

बिसरि गेलै सभ राग-भास अचाँचके

एलै ने तेहेन सहजोर अन्हर-बिहाड़ि

उजड़ि गेलै ओकर बथान

हिलल रहै जखन आँगनक पोर-पोर

बचल रहि गेलै

शून्यक लालिमा नहायल

एकटा मसान

थोड़े लाल-लाल अडहुल फूल

जतऽ आइयो गहल छैक ओकर आस।

स्रोत :
  • पुस्तक : एखन धरि (पृष्ठ 16)
  • रचनाकार : अंशुमान सत्यकेतु
  • प्रकाशन : नवारम्भ
  • संस्करण : 2018

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