Font by Mehr Nastaliq Web

आओ फिर से दिया जलाएँ

aao phir se diya jalayen

अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी

आओ फिर से दिया जलाएँ

अटल बिहारी वाजपेयी

और अधिकअटल बिहारी वाजपेयी

    भरी दुपहरी में अँधियारा

    सूरज परछाईं से हारा

    अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ

    हम पड़ाव को समझे मंज़िल

    लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल

    वतर्मान के मोहजाल में आने वाला कल भुलाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ

    आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा

    अपनों के विघ्नों ने घेरा

    अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेरी इक्यावन कविताएँ (पृष्ठ 15)
    • संपादक : चंद्रिकाप्रसाद शर्मा
    • रचनाकार : अटल बिहारी वाजपेयी
    • प्रकाशन : किताबघर प्रकान
    • संस्करण : 2017

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए