छाप-तिलक तज दीन्हीं रे

chhap tilak taj dinhin re

अमीर ख़ुसरो

अमीर ख़ुसरो

छाप-तिलक तज दीन्हीं रे

अमीर ख़ुसरो

और अधिकअमीर ख़ुसरो

    छाप-तिलक तज दीन्हीं रे तोसे नैना मिला के।

    प्रेम बटी का मदवा पिला के,

    मतवारी कर दीन्ही रे मों से नैना मिला के।

    ख़ुसरो निज़ाम पै बलि-बलि जइए,

    मोहे सुहागन कीन्हीं रे मोसे नैना मिला के॥

    अमीर ख़ुसरो कहते हैं कि गुरु ने मुझसे नेत्र मिलाकर अर्थात प्रेमपूर्वक अपनाकर मेरे कोरे बाहरी दिखावे के आचरण को मिटा दिया है और मुझे बाह्याडंबर से मुक्त कर दिया है। उन्होंने प्रेम रूपी भट्टी से निर्मित ज्ञान रूपी शराब पिलाकर मुझे मदमस्त या आनंदमग्न कर दिया है। इस तरह उन्होंने मुझ पर अपना प्रेम-भाव व्यक्त किया है। इस कृपादृष्टि के लिए मैं अपने गुरु निज़ामुद्दीन औलिया पर स्वयं को न्यौछावर करता हूँ। गुरु ने ऐसा दिव्य-ज्ञान या आध्यात्मिक दृष्टि देकर मुझे सौभाग्यशाली बना दिया है, मुझे संसार के समस्त आडंबरों एवं अज्ञान से मुक्त कर दिया है। यह मेरा परम सौभाग्य है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अमीर खुसरो (पृष्ठ 126)
    • रचनाकार : अमीर खुसरो
    • प्रकाशन : प्रभात प्रकाशन
    • संस्करण : 1993

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