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भाग्यशाली बालक

bhagyashali balak

एक गाँव में एक ग़रीब किसान रहता था। उस गाँव में पानी की बहुत कमी थी। किसान ने पानी के लिए एक बाँध बनाने का विचार किया। उसने पुजारी से इस बारे में राय ली। पुजारी ने कहा कि पहले उसे किसी बालक की बलि देनी चाहिए। किसान ने अपने बालक को बलि देने के लिए चुना।

बलि का अनुष्ठान आरंभ होने के पहले पुजारी ने बालक से कहा कि वह भैंस का गोबर ले आए। बालक गोबर लेने भैंस के पास पहुँचा। तब तक उसे पता नहीं था कि उसी की बलि दी जाने वाली है। जब वह गोबर उठा रहा था तब भैंस ने उसे समझाया कि वह वापस जाए क्योंकि उसी की बलि दी जाने वाली है। यह सुनकर बालक दूसरे गाँव जाने का निर्णय लिया और वह उसी भैंस की पीठ पर बैठकर चल पड़ा।

दूसरे गाँव पहुँचकर वह एक तालाब के किनारे घर बनाकर रहने लगा। इस प्रकार कुछ वर्ष व्यतीत हो गए। बालक युवा हो गया।

एक दिन उस तालाब में नहाने एक सुंदर युवती आई। युवक ने उसे देखा तो वह मोहित हो गया। युवती ने युवक को देखा तो वह भी मोहित हो गई। थोड़ी देर बाद युवती चली गई। किंतु वह इसके बाद प्रतिदिन उसी तालाब में नहाने आने लगी। वह युवती वस्तुतः उस राज्य के राजा की लड़की थी। राजकुमारी और उस ग़रीब युवक के प्रेम के बारे में राजा के नाई को पता चला तो वह बौखला उठा। वह अपने बेटे के साथ राजकुमारी का विवाह कराना चाहता था। उसने युवक को रास्ते से हटाने का विचार किया और राजा से कहा कि फलां गाँव में एक युवक रहता है जो पागल हाथी को साधना जानता है। राजा ने कहा कि फिर उसका यह कौशल देखना चाहिए। नाई ने सोचा कि अब युवक पीछे नहीं हट सकेगा और पागल हाथी के सामने पड़ेगा तो मारा जाएगा।

नियत समय पर आयोजन किया गया। युवक को पागल हाथी के सामने खड़ा कर दिया गया। युवक भी समझ गया कि यह नाई की चाल है। उसने राजा से कहा कि मुझे अपनी माँ से आशर्वाद ले लेने दीजिए। राजा की अनुमति पाकर युवक भैंस के पास पहुँचा और उससे मदद माँगी। भैंस ने कहा कि तुम चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।

भैंस हाथी के पास पहुँची और उससे बोली कि ‘हम तुम लगभग एक जैसे हैं। मैं तुम्हारी बहन के समान हूँ और यह लड़का मेरा बेटा है अतः यह तुम्हारा भी सगा-संबंधी हुआ। क्या तुम अपने संबंधी को मारोगे? यदि मारना ही है तो नाई को मारो जो दुष्ट है और राजा के कान भरता रहता है।’

हाथी को भैंस की बात समझ में गई। राजा ने युवक को पागल हाथी को वश में करने का आदेश दिया। युवक आगे बढ़ा तो हाथी ने उसे अपनी सूँड़ से उठाकर अपनी पीठ पर बिठा लिया और नाई को सूँड़ से उठाकर पटक दिया। उसी समय राजकुमारी भी वहाँ गई। उसने राजा को बताया कि यही वह युवक है जिससे वह प्रेम करती है और विवाह करना चाहती है। राजा ने युवक को अपना दामाद बनाना स्वीकार कर लिया।

युवक और राजकुमारी का धूम-धाम से विवाह हो गया और आगे चलकर युवक उस राज्य का राजा बना।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 277)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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