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राओना-राओनी

raona raoni

प्राचीन काल में एक गाँव में एक भाई-बहन रहते थे। भाई का नाम था राओना और बहन का नाम था राओनी। दोनों अपनी दादी के साथ रहते थे। कुछ समय बाद दोनों विवाह योग्य बड़े हो गए।

एक दिन राओनी नदी में नहा रही थी कि राओना भी उधर निकला। उसने अपनी बहन के निर्वस्त्र युवा शरीर को देखा तो वह उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया। राओना ने मन ही मन ठान लिया कि वह अपनी बहन से विवाह करेगा। उसने अपने विवाह की तिथि भी तय कर ली। यह बात उसे अपनी दादी को बतानी पड़ी क्योंकि विवाह की तैयारियाँ तो वही करती।

‘क्या राओनी इस विवाह के लिए सहमत है?’ दादी ने पूछा।

‘हाँ!...लेकिन उसे अभी विवाह के बारे में पता नहीं है।’ राओना ने कहा।

उसके परस्पर विरोधी उत्तर को सुनकर दादी को संदेह हुआ। किंतु राओना के क्रोध के भय से कुछ नहीं बोली।

दूसरे दिन राओना ने अनाज ला दिया ताकि दादी उसे फटककर विवाह-भोज के लिए तैयार कर ले। दादी सूपे में अनाज लेकर बैठ गई और अनाज फटकने लगी। साथ में वह गीत गाने लगी।

चतुर चिरैयों अनाज ले जाना

मेरा पोता और पोती विवाह करेंगे

इसी अनाज से गाँव के लोगों का न्योता करेंगे...

राओनी ने दादी का गीत सुना तो वह दंग रह गई। उसकी अपनी शादी होने वाली है और उसे पता भी नहीं है? वह दादी के पास पहुँची उसने दादी से इस बारे में पूछा। दादी ने बता दिया कि राओना उससे विवाह करने जा रहा है। राओनी को अपने भाई का यह मंतव्य उचित नहीं लगा। उसने सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो लेकिन वह अपने भाई से विवाह नहीं करेगी। किंतु वहीं रहते हुए विवाह से बचा नहीं जा सकता था अत: राओनी आकाश में उड़ चली।

उसी समय उसका भाई राओना गया। उसने राओनी को उड़कर दूर जाते हुए देखा तो वह समझ गया कि राओनी उससे बचने के लिए भाग रही है। राओना ने राओनी का पीछा किया।

राओनी ने देखा कि राओना उसके पीछे रहा है तो वह भागकर बादलों में छिप गई और बादलों की ओट में उड़ने लगी। बादलों के बीच से कभी-कभी उसकी झलक दिख जाती। इस झलक से सारी धरती और सारा आकाश प्रकाशित हो जाता। राओनी को पहुँच से दूर पाकर राओना क्रोध से गर्जना करने लगा। उसकी गर्जन से पूरा आकाश और समूची धरती काँप उठी। लेकिन राओनी नहीं डरी। वह बादलों के साथ-साथ उड़ती रही और अपने कुत्सित विचारों वाले भाई से स्वयं को बचाती रही। जबकि राओना अपनी बहन का पीछा करता हुआ उसे डराने के लिए गर्जनाएँ करता रहा।

आज भी बादलों में बिजली के रूप में राओनी दिखाई पड़ जाती है और उसके दिखने के ठीक बाद राओना की गर्जना बादलों की गर्जना के रूप में सुनाई देती है।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 327)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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