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अन्य जीवन

anya jivan

यह जानने के लिए कि मृत्यु के पश्चात क्या होता है एक ब्राह्मण ने कठोर तप किया। अंततः भगवान ने उसकी सुनी।

एक दिन तड़के वह नदी में स्नान कर रहा था कि उसकी आत्मा उसे छोड़कर अछूत चमार के एक बच्चे में प्रवेश कर गई। बच्चा बड़ा हुआ, अपने पिता का धंधा संभाला, विवाह किया और कई बच्चों का पिता बना। एक दिन एकाएक उसे बोध हुआ कि वास्तव में वह ब्राह्मण है। सो सब छोड़-छाड़कर वह परदेश चला गया। वह जिस देश में पहुँचा वहाँ का राजा अपने पीछे उत्तराधिकारी छोड़े बिना ही स्वर्ग सिधार गया था। प्रथा अनुसार वहाँ के मंत्रियों और बुज़र्गों ने हाथी और बाज के माध्यम से सिंहासन का स्वामी चुनने का निश्चय किया और हाथी और बाज को खुला छोड़ दिया। प्रजा उसे अपना राजा अंगीकार कर लेगी जिसे हाथी और बाज चुनेंगे। आश्चर्य की बात कि चमार देहधारी ब्राह्मण को नया राजा चुना गया। हाथी ने उसके आगे शीश नवाया और बाज उसके दाहिने हाथ पर बैठ गया। इस तरह हाथी और बाज ने उसे सबके सामने राजा घोषित किया।

कुछ बरस बाद चमार की पत्नी को पता चला कि उसका पति कहाँ है। सो वह उसके पास पहुँच गई। लोग कानाफूसी करने लगे। शीघ्र ही सब जान गए कि राजा चमार है और उसकी पत्नी भी नीच जाति की है। लोगों को भयंकर आघात लगा। कइयों ने विद्रोह कर दिया। कई देश छोड़कर चले गए। कई प्रायश्चित के लिए अनुष्ठान करने लगे। कइयों ने आत्मदाह कर लिया। सभी धर्मच्युत हो जाने से भयभीत थे। लज्जित राजा भी उथल-पुथल को सह सका और आग में कूद गया।

राजा की आत्मा ने पुनः ब्राह्मण की निर्जीव देह पर अधिकार कर लिया जो नदी के तल में पड़ी थी। ब्राह्मण नदी से बाहर आया और घर चला गया उसे द्वार पर देखकर पत्नी ने कहा, “आ गए? आज स्नान और जप-ध्यान से जल्दी निवृत हो गए! ब्राह्मण स्तब्ध पत्नी को देखता रह गया। उसने कोई उत्तर नहीं दिया। सोचने लगा, “क्या मृत्यु के बाद ऐसा ही होता है? क्या वह सचमुच घटित हुआ था या वह स्वप्न था?”

इसके एक सप्ताह पश्चात एक आदमी ब्राह्मण के घर आया और भोजन माँगा। उसने बताया कि उसने पाँच दिन से कुछ नहीं खाया है। एक चमार उनके देश का राजा बन गया और समूचे देश को गंदा कर दिया। इसलिए वह जितनी तेज़ी से भाग सकता था भागता हुआ उस देश से दूर चला आया है। उसने आगे बताया कि भावी अनिष्ट से बचने के लिए सब लोग भाग रहे हैं या आत्मदाह कर रहे हैं। ब्राह्मण ने उसे खाना खिलाया, पर कुछ बोला नहीं। सोचा, “यह क्यों कर संभव है? चमार के रूप में मैंने घर बसाया और कई बरस राजा भी रहा। मैंने समझा कि वह स्वप्न था, पर अब यह व्यक्ति उन घटनाओं के यथार्थ की पुष्टि कर रहा है। इधर मेरी पत्नी कह रही है कि मैं आज सवेरे अधिक समय तक बाहर नहीं रहा। मुझे उसकी बात ठीक लगती है। उसकी आयु एक दिन भी तो अधिक नहीं लगती और ही गाँव-घर में परिवर्तन दिखता है। संभवतः व्यक्ति के मन, वचन और कर्म के अनुसार आत्मा अस्तित्व के भिन्न-भिन्न स्तरों पर गमन करती है। कदाचित उस लोक में काल की गणना भिन्न प्रकार से होती हो। हो सकता है वहाँ एक युग एक दिन के समान होता हो और एक दिन एक युग के समान। कौन जाने!”

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत की लोक कथाएँ (पृष्ठ 130)
  • संपादक : ए. के. रामानुजन
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2001

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