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हमरे दुअरवा चननवा

hamre duarva chananva

अज्ञात

अज्ञात

हमरे दुअरवा चननवा

अज्ञात

और अधिकअज्ञात

    हमरे दुअरवा चननवा, चनन बड़ रूखवा,

    सखिया तेहि चढ़ि कागा बोलिया बोलइ, बोलि के सुनावे हो

    का तुहूं कागा बोलिया बोलउ, बोलि के सुनावउ

    एक तो बिटिअही हमरी कोखिया, दूसरे पियवा दारून हो।

    जउ हम रानी बोलिया बोलू, बोलि के सुनाये हो

    रानी आजु के नवये महिनवा, होरिल तोहरे होइहैं

    अंगनवा तोहरे खेलिहइं हो।

    कागा सोनवा मिढ़उबै तोहरी ठोढ़, चनिया तोहरी डाखनि हो।

    मिलहु सखिया सहेलरि, मिलि-जुलि चालउ हो

    सखिया जमुना निर्मल नीर कलस भरि लाउत हो।

    केउ सखि जमुना में मुख धोवै, केउ सखि घइला भरें हो

    सखिया केउ सखि ठाढ़ि तँवाई, तवैया बिनु रोवई हो।

    कि तोहें सासु-ससुर दुख, किय नइहर दूरि बसै हो

    सखिया की तोहरा पिया परदेस कवने दुख रोवउ हो।

    नाहीं मोहें सासु-ससुर दुख, नाहीं नइहर दूरि बसे

    सखिया नाहीं मोर पिया परदेस, कोखिया दुख रोवउं हो।

    कुम्हड़ा के पेड़वा बंवरि एस, फरइ घइल एस हो

    सखिया पिपरे पेड़वा जहाज एस फरइ मिरिच एस

    अपने करम कइ हो॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : पूर्वांचल के लोकगीत (पृष्ठ 33)
    • संपादक : बी.एल.द्विवेदी, कपिल तिवारी और नवल शुक्ल
    • प्रकाशन : मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद्, भोपाल का प्रकाशन
    • संस्करण : 1998

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