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अवधी लोकगीत : कनक भवन झेलुआ परि गये

awadhi lokgit ha kanak bhawan jhelua pari gaye

रोचक तथ्य

संदर्भ—कनक भवन में झूला।

कनक भवन झेलुआ परि गये।

कहँवा कै हरिअरि निमिआ रे, कहँवा कै हरिअर बाँस।

कवनी डारी परा अरे हिंडोलना रे।। कनक भवन0।।1।।

मथुरा कै हरिअर निमिआ रे, गोकुला कै हरिअर बाँस।

नीमी डारी परा अरे हिंडोलना रे।। कनक भवन0।।2।।

सावन के महीने में अयोध्या स्थित कनक भवन में झूले पड़ गए।

एक सखी दूसरी सखी से पूछती है—कहाँ की हरी नीम है, कहाँ के हरे बाँस हैं और किस डाल पर हिंडोला पड़ा है?।।1।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 164)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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