Font by Mehr Nastaliq Web

लेखक : उषादेवी मित्र

संस्करण संख्या : 002

प्रकाशक : सरस्वती प्रेस, बनारस

मूल : बनारस, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1942

भाषा : हिंदी

पृष्ठ : 122

सहयोगी : सरदार शहर पब्लिक लाइब्रेरी

वचन का मोल

लेखक: परिचय

उषादेवी मित्रा का जन्म सन्‌ 1897 में जबलपुर में हुआ था। आप द्विवेदीयुगीन कहानी की चर्चित लेखिका रही हैं। बंगला भाषा-भाषी होते हुए भी आपने हिंदी-लेखन को अपना साहित्य-कर्म का क्षेत्र चुना। 
‘वचन का मोल’, ‘प्रिया', ‘नष्ट नीड़', ‘जीवन की मुस्कान", और 'सोहनी' नामक उपन्यासों के अतिरिक्त 'आँधी के छंद', 'महावर’, 'नीम चमेली’, 'मेघ मल्लार’, ‘रागिनी’, 'सांध्य पूर्वी' और ‘रात की रानी'  आदि आपके उल्लेखनीय कहानी-संघरह हैं।
'सांध्य पूर्वी' पर अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का 'सेकसरिया पुरस्कार' भी आपको प्रदान किया गया। मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के जबलपुर अधिवेशन में आपकी साहित्य-सेवाओं के लिए
आपका अभिनंदन मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री द्वारिकाप्रसाद मिश्र द्वारा किया गया। आप नागपुर रेडियो की परामर्शदात्री समिति की सदस्या होने के साथ-साथ नगर की अनेक सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़ी थीं।
आपका निधन 70 वर्ष की आयु में 9 सितम्बर सन्‌ 1966 को हुआ था। यह विडंबना की ही बात है कि मृत्यु से पूर्व अपनी सुपुत्री डॉँ० बुलबुल चौधरी से अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए आपने कहा था, “मेरी
सारी पुस्तकें भरी चिता पर मेरे साथ जला दी जाए। मेरी शवयात्रा में शास्त्रीय संगीत निनादित हो।” जिस लेखिका ने 50 वर्ष वैधव्य में गुजारकर निरंतर साहित्य-सृजन करके हिंदी की सेवा की हो और जिसकी लेखन-कला की सराहना प्रेमचंद तक ने की हो वह अपनी चिता के साथ क्षपनी रचनाओं को जलाने की इच्छा व्यक्त करे, इसकी पृष्ठभूमि में अवश्य ही घनीभूत अवसाद और उपेक्षा ही उत्प्रेरक का काम की होगी। 

.....और पढ़िए

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए